श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा दुर्गा पूजन यदि अखंड दीपक प्रज्वलित करके नौ तक प्रज्वलित रखना चाहते हो तो इसके लिए बड़े दीपक में घी भरा रहे बत्ती निरंतर प्रज्वलित रहे। गंगाजल अथवा शुद्ध जल से तीन बार प्रक्षालित करले (धोकर) अथवा चावल भी धो ले तो यह अक्षत हो जायेगा। पंचोचर से श्री गणेश जी का पूजन करे। यदि श्री दुर्गा जी की स्वर्ण या रजत हो तो उसे सिंहासन पर अथवा जल पूर्ण कलश पर स्थापित करके पूजन करे। यदि गणेश जी की मृतिका (मिट्टी ) की प्रतिमा हो तो उसका दर्पण में (प्रतिबिम्ब) देखकर तथा स्थापना स्थान को साफ़ करले एवं स्वयं को शुद्धकर था शुद्ध वस्त्र पहन कर प्रतिमा की स्थापना करे। श्री दुर्गा नवरात्रि कथा एवं व्रत व्रत विधान :- उपवास अथवा फलाहार की इस व्रत में कोई विशेष व्यवस्था या नियम नहीं है। प्रातः नित्य कर्म से निर्वत होकर तथा स्नान करके मंदिर में अथवा घर पर ही नवरात्र काल में श्री दुर्गा जी का ध्यान करके श्रद्धा भक्ति सहित उनकी कथा प्रारम्भ की जाये। यह व्रत तथा कथा - विधान कुंवारी कन्याओ के लिए विशेष लाभदायक है। भगवती दुर्गा की कृपा से समस्त कष्टों, अरिष्टों तथा विघ्न बधाओ
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