माँ मेरा अभिमान और मेरा स्वाभिमान
माँ को अपने शब्दों में बयान कर दू मैं वो नहीं
माँ के रूप को साकार कर दू मैं वो नहीं
माँ की मैं क्या तारीफ करूँ
मैं तो उनकी जूती की धूल भी नहीं।
मेरी खुशियों में जो खुश होती है वो मेरी माँ है
मेरे दुःख में जो साथ होती है वो मेरी माँ है
जिसका आशीर्वाद हमेशा साथ रहे वो मेरी माँ है
और बिन कहे सब समझ जाये वो मेरी माँ है।
माँ हैं तो मेरा अभिमान है
माँ हैं तो मेरा स्वाभिमान है
माँ हैं तो मेरा सम्मान है
माँ है तो मेरा नाम है।
माँ ही तो भगवान का रूप है
माँ ही इस जगत का स्वरूप है
माँ ही तो जननी का रूप है
और माँ ही तो सबसे सुन्दर संसार का स्वरूप है।
माँ की ऊँगली पकड़ कर चलना सीखा
माँ के आँचल में पलना सीखा
अब इससे आगे क्या कहुँ मैं
माँ तुझसे ही तो मैंने जीना सीखा।
माँ मैं सीधा साधा भोला भाला
माँ तेरे लिए सबसे अच्छा हूँ
कितना भी बड़ा हो जाऊ मैं माँ
लेकिन माँ तेरे लिए तो मैं बच्चा हूँ।
ऐ मेरे मालिक
तूने गुल को गुलशन में जगह दी
पानी को दरिया में जगह दी
पंछियो को आसमान में जगह दी
तू उस शख्स को जन्नत में जगह देना
जिसने मुझे 9 महीने पेट में जगह दी।
मै उम्मीद करता हूँ की आपको माँ के लिए कहे ये कुछ अल्फाज पसंद आये होंगे, क्योकि माँ के लिए तो जितने अल्फाज लिखे या बोले वो कम रह जाते है, और आपको भी ऐसी कविता और कहानी लिखना अच्छा लगता है और आप पोस्ट करवाने चाहते हो तो हमे हमारी मेल पर भेजे npccolguy1@gmail.com हम आपकी उस कहानी और कविता को अपने ब्लॉग में लिखेंगे और पोस्ट करेंगे। आपका अपना ब्लॉग www.idealjaat.com
मां 💓 के लिए जितना लिखो कम ही है..
ReplyDeleteमां 💓 है तो हम है!!!
बहुत बहुत खूबसूरत रचना काबिले तारीफ़..👌👌👌👌👏👏
धन्यवाद जी
DeleteWow such a beautiful poem
ReplyDeleteThis was sooo nice:,]❤♥️❤
ReplyDelete