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राधा कृष्ण जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है

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राधा कृष्ण जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है    राधा कृष्णा जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है  यहां तो सिर्फ हवस में ही प्रेम समाया है इस कलयुग की माया कोई समझ न पाया है।  यहां राम और लक्ष्मण भाइयो जैसा प्यार कोई समझ नहीं पाया है  जायदाद के लिए भाई ने ही भाई का खून बहाया है  श्रवण के भाव माता पिता के लिए कोई नहीं समझ पाया है  आज कल तो माता पिता को बेटा ही आश्रम में छोड़ कर आया है  हरीशचंद्र जैसा सत्यवादी कोई नहीं कहलाया है  आज कल तो सबने झूठ को ही अपनाया है  एक समय पर कुनबा ही परिवार कहलाया है  आज कल तो माता  पिता से अलग होकर ही परिवार भाया  है  सीता माता  जैसी स्त्री ने पति धर्म निभाया है  आज कल की स्त्रियों ने तलाक लेकर पति से छुटकारा पाया है  भगत सिंह जी ने  शहीद होकर  आज़ादी का मतलब  समझाया है  पर आज कल की राजनीती ने हमे फिर से गुलाम  बनाया है रानी लक्ष्मीबाई ने महिलाओ को लड़ना सिखाया है  आज उसी सीख से महिलाओ ने देश में अपना सम्मान बढ़ाया है  एक समय  राजाओ ने आपस में लड़कर देश को गुलाम बनवाया है  और आज राजनीती ने जनता को अपना गुलाम बनाया है  इस कलयुग की माया कोई समझ न पाया है।  उम्मीद करता हूँ आप

श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा - नवरात्री उत्स्व क्यों मनाया जाता है

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श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा   दुर्गा पूजन   यदि अखंड दीपक प्रज्वलित करके नौ तक प्रज्वलित रखना चाहते हो तो इसके लिए बड़े दीपक में घी भरा रहे बत्ती निरंतर प्रज्वलित रहे।  गंगाजल अथवा शुद्ध जल से तीन बार प्रक्षालित करले (धोकर) अथवा चावल भी धो ले तो यह अक्षत हो जायेगा।  पंचोचर से श्री गणेश जी का  पूजन करे।  यदि श्री दुर्गा जी की स्वर्ण या रजत  हो तो उसे सिंहासन पर अथवा जल पूर्ण कलश पर स्थापित करके पूजन करे।  यदि गणेश जी की मृतिका (मिट्टी ) की प्रतिमा हो तो उसका दर्पण में (प्रतिबिम्ब) देखकर तथा स्थापना स्थान को साफ़ करले एवं स्वयं को शुद्धकर था शुद्ध वस्त्र पहन कर प्रतिमा की स्थापना करे।  श्री दुर्गा नवरात्रि कथा एवं व्रत  व्रत विधान :- उपवास अथवा फलाहार की इस व्रत में कोई विशेष व्यवस्था या नियम नहीं है।  प्रातः नित्य कर्म से निर्वत होकर तथा स्नान करके मंदिर में अथवा घर पर ही नवरात्र काल में श्री दुर्गा जी का ध्यान करके श्रद्धा भक्ति सहित उनकी कथा प्रारम्भ की जाये।  यह व्रत तथा कथा - विधान कुंवारी कन्याओ के लिए विशेष लाभदायक है।  भगवती दुर्गा की कृपा से समस्त कष्टों, अरिष्टों तथा विघ्न बधाओ