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राधा कृष्ण जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है

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राधा कृष्ण जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है    राधा कृष्णा जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है  यहां तो सिर्फ हवस में ही प्रेम समाया है इस कलयुग की माया कोई समझ न पाया है।  यहां राम और लक्ष्मण भाइयो जैसा प्यार कोई समझ नहीं पाया है  जायदाद के लिए भाई ने ही भाई का खून बहाया है  श्रवण के भाव माता पिता के लिए कोई नहीं समझ पाया है  आज कल तो माता पिता को बेटा ही आश्रम में छोड़ कर आया है  हरीशचंद्र जैसा सत्यवादी कोई नहीं कहलाया है  आज कल तो सबने झूठ को ही अपनाया है  एक समय पर कुनबा ही परिवार कहलाया है  आज कल तो माता  पिता से अलग होकर ही परिवार भाया  है  सीता माता  जैसी स्त्री ने पति धर्म निभाया है  आज कल की स्त्रियों ने तलाक लेकर पति से छुटकारा पाया है  भगत सिंह जी ने  शहीद होकर  आज़ादी का मतलब  समझाया है  पर आज कल की राजनीती ने हमे फिर से गुलाम  बनाया है रानी लक्ष्मीबाई ने महिलाओ को लड़ना सिखाया है  आज उसी सीख से महिलाओ ने देश में अपना सम्मान बढ़ाया है  एक समय  राजाओ ने आपस में लड़कर देश को गुलाम बनवाया है  और आज राजनीती ने जनता को अपना गुलाम बनाया है  इस कलयुग की माया कोई समझ न पाया है।  उम्मीद करता हूँ आप

ईमानदारी के साथ साथ समझदारी भी जरूरी है

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 वकील की समझदारी  एक बार एक वकील साहब कोर्ट से शाम को घर लौट रहे थे। रास्ते में वकील साहब एक नदी के किनारे पत्थर पर बैठ गए और थोड़ा आराम फरमाने लगे उन्होंने एक पेपर निकाला और कुछ लिखने लगे थोड़ी देर बाद जैसे ही वकील साहब उस पत्थर पर उठने लगे उनका पैन नदी में गिर गया। यह देख वकील साहब परेशान हुए और उन्होंने मन ही मन सोचा की आज ही तो यह नया पैन खरीदा था और आज ही यह गिर गया। वकील साहब का बिना पैन के जाने का मन नहीं कर रहा था वह दुखी नज़रो से नदी में अपने पैन को तराशने लगे पर उन्हें पैन नहीं दिख पा रहा था। उनके मन में यही दुःख था की आज ही तो पैन खरीदा था और आज ही नदी में गिर गया। जब नदी में बड़ी बड़ी लहर आयी और नदी से कोई भगवान बाहर निकले। वकील ने पूछा आप कौन है उन्होंने कहा मै वरुण देव हूँ।  वकील साहब : ये देख कर वकील साहब के ध्यान में एक दम सोने की कुल्हाड़ी वाली कहानी याद आयी।   वरुण देव : हे मनुष्य तुम इतने परेशान क्यों हो और कोन हो तुम।  वकील साहब : हे प्रभु मै पेशे से वकील हूँ और मै यहां बैठा था और नदी में मेरा पैन गिर गया वो पैन मैंने आज ही खरीदा था।  वरुण देव : तुम चिंता मत करो और रु