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राधा कृष्ण जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है

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राधा कृष्ण जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है    राधा कृष्णा जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है  यहां तो सिर्फ हवस में ही प्रेम समाया है इस कलयुग की माया कोई समझ न पाया है।  यहां राम और लक्ष्मण भाइयो जैसा प्यार कोई समझ नहीं पाया है  जायदाद के लिए भाई ने ही भाई का खून बहाया है  श्रवण के भाव माता पिता के लिए कोई नहीं समझ पाया है  आज कल तो माता पिता को बेटा ही आश्रम में छोड़ कर आया है  हरीशचंद्र जैसा सत्यवादी कोई नहीं कहलाया है  आज कल तो सबने झूठ को ही अपनाया है  एक समय पर कुनबा ही परिवार कहलाया है  आज कल तो माता  पिता से अलग होकर ही परिवार भाया  है  सीता माता  जैसी स्त्री ने पति धर्म निभाया है  आज कल की स्त्रियों ने तलाक लेकर पति से छुटकारा पाया है  भगत सिंह जी ने  शहीद होकर  आज़ादी का मतलब  समझाया है  पर आज कल की राजनीती ने हमे फिर से गुलाम  बनाया है रानी लक्ष्मीबाई ने महिलाओ को लड़ना सिखाया है  आज उसी सीख से महिलाओ ने देश में अपना सम्मान बढ़ाया है  एक समय  राजाओ ने आपस में लड़कर देश को गुलाम बनवाया है  और आज राजनीती ने जनता को अपना गुलाम बनाया है  इस कलयुग की माया कोई समझ न पाया है।  उम्मीद करता हूँ आप

परिवार का महत्व

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  परिवार का परिचय  परिवार क्या होता है, परिवार कैसे बनता है, ये हम सब जानते है फिर भी अगर सरल शब्दों में समझे तो एक छत के नीचे रहने वाला व्यक्तियों का समूह जो आपस में अनुवांशिक गुणों को संचरित करते हैं परिवार के संज्ञा के अंतर्गत आते हैं ! इसके अलावा विवाह पश्चात या किसी बच्चे को गोद लेने पर वे परिवार का सदस्य हो जाते हैं। समाज में पहचान परिवार के माध्यम से मिलती है इसलिए हर मायने में व्यक्ति के लिए उसका परिवार सर्वाधिक महत्वपूर्ण है ! हर समाज के अपने अलग  अलग नियम और परम्पराये होती है लेकिन हर समाज की मौलिक , प्राथमिक और जरूरी इकाई परिवार ही  होता है ! बिना परिवार के समाज की कल्पना करना  एक सपना जैसे होता है !    आप इस में अपने  परिवार की यादो  को कैद करे , आज ही परिवार के प्रकार  हम  सभी  जानते है की परिवार दो प्रकार के होते है पहला मूल परिवार और दूसरा सयुक्त परिवार ! मूल परिवार -  मूल परिवार  देखा जाये तो पश्चिमी सभ्यता की देन है, जिसमे पति पत्नी अपने माता पिता से अलग रहते है और उसमे उनके होने वाले बच्चे सम्मिलित हो जाते है , और आज विश्वभर में मूल परिवार का चलन चल रहा है ! सयुंक्त