दिल से दिल तक सफर - दिल के टूटे ख्वाब ये दिल भी तो बेचारा था हर किसी को ये गवारा न था हर किसी का हाथ दिल ने थामा था हर किसी को अपना माना था पर ये उन्हें रास न आना था। हर किसी का ये दिल तोड़ कर जाना था किसी ने अपने दोस्त का हाथ थामा था तो किसी ने मेरे ही दोस्त को अपना माना था। माँ मेरा अभिमान और मेरा स्वाभिमान इस दिल ने उन सबको समझाना था पर उन सबने ही हमको गैर माना था। उनके जाने के बाद तो ये सिलसिला था ये दिल खुद से खफा था और खुद से नाराज था। इस दिल ने तो उन्हें बेवफा का नाम दिया था पर उनके दोस्तों से पता चला कि उन्होंने हमे बेवफा का नाम दे डाला था। नारी का क्या दोष - समाज के बेबस नारी इस दुःख भरी राह में दोस्तों ने संभाला था और घरवालों का सहारा था। जब जब दिल को कुछ समझ आता था उससे पहले चाहने वाला बहुत दूर चला जाता था। अब तो बस उस बेवफा को ये बताना था तेरा पास आना मेरे लिए अच्छा था तेरा दूर चले जाना भी अच्छा था शायद ऊपर वाले ने हमारा साथ ही इतना लिखा था। गांव की सभ्यता इस दिल जिस जिस को दिल दिया उसी ने मेरा साथ छोड़ दिया और मुझे छोड़ कर किसी और क
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