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माँ की ममता का एहसास - Mother's feelings

माँ की ममता का एहसास  यह कविता उनके लिए है जिन्होंने अपने माँ को खो दिया लेकिन उनकी ममता का एहसास आज भी उनके साथ है।  माँ तेरे बारे में क्या लिखू  मैं तो खुद तेरी ही लिखावट हूँ।  जब जब माँ की बात होती है  मेरी आँखों में नमी होती है  दिल में एक खलबली होती है  दिमाग में हलचल होती है  बस सोच यही होती है काश माँ आज भी तू मेरे पास होती।    माँ की दूर जाने की कमी तो हमेशा खलती है  पर माँ की मौजूदगी हमेशा साथ होती है।   माँ इस संसार की ऐसी मूर्त होती है   उनकी सूरत इस दिल में बसी होती है   माँ अपने बच्चो को इतना मजबूत बनाती है  कि जब माँ बच्चो से दूर चली जाती है  यही मजबूती तो बच्चो को जीना सिखाती है  माँ के दूर जाने की तकलीफ तो बच्चो को होती है  पर उस तकलीफ से लड़ना भी माँ की मूर्त ही सिखाती है।    माँ तो सबके लिए एक अजीम तौफा होती है  उस अजीम तौफे की कीमत माँ के जाने के बाद ही समझ आती है  दुनिया से जाना तो एक दिन सबको होता है  लेकिन माँ का बच्चो को छोड़कर जाना क्यों जरुरी होता है   बच्चो की यही शिकायत हमेशा भगवान से होती है।    सोशल मीडिया पर लिखने या पोस्ट डालने से माँ की इज्जत नहीं होती है 

SELFISH HUMANS - HOW TO DEAL WITH SELFISH HUMANS ?

SELFISH HUMANS Today we will talk about a selfish person. First, we will understand the definition of selfishness- selfishness can also be called Self-aggrandizement, the person who talks to someone for his/her own benefit or work and w hen his work is finished, he would leave and then remember it when it is a lean work, we call it selfishness in simple language. A selfish person can also harm someone for his work and benefit. By the way, we all derive different meanings of selfishness. For example, if you ever ask anyone in a class or meeting, then everyone will tell you different meanings of selfishness. But all the answers will be somewhat similar as the selfish man does everything for his own benefits. God has kept man's nature separate from animals. A man always walks according to his nature. Just as a man's five fingers are not the same, his desires are unlimited (human desires are unlimited and infinite). Similarly, not every human being has the same nature. Because we

स्वार्थी मनुष्य - क्या हम सब स्वार्थी है

 स्वार्थी मनुष्य  आज हम बात करेंगे स्वार्थी इंसान की।  पहले हम स्वार्थ की परिभाषा को समझेंगे - स्वार्थ को हम खुदगर्ज भी कहते है ,  वह मनुष्य जो अपने फायदे या काम  के लिए किसी से बात करे और जब उसका काम निकल जाये तो वह किनारा कर ले और  फिर दुबारे काम होने पर उसे याद करे उसे हम सरल भाषा में स्वार्थ कहते है। स्वार्थी मनुष्य अपने काम और फायदे के किसी को नुक्सान भी पहुंचा सकता है।  वैसे तो हम सब स्वार्थ का अलग अलग मतलब निकालते है। जैसे आप कभी  एक कक्षा या सभा में किसी से पूछेंगे तो आपको हर कोई स्वार्थ का अलग अलग मतलब बतायेगा।  लेकिन सब जवाब मिलते जुलते ही मिलेंगे क्योकि स्वार्थी मनुष्य अपने फायदे के लिए सब कुछ करता है।  भगवान ने मनुष्य का स्वभाव जानवरो से अलग बना रखा है।  और मनुष्य अपने स्वभाव के हिसाब से ही चलता है।  जिस तरह मनुष्य की पांचो उंगलिया एक जैसी नहीं होती है उनकी इच्छाएं असीमित होती है (मनुष्य की इच्छाएं असीमित और अनंत ) ।  उसी प्रकार हर मनुष्य का स्वभाव एक जैसा नहीं होता है। क्योकि हम मनुष्य ऐसे ही होते है।  एक मनुष्य  कभी खुद में कमी नहीं देखता लेकिन दूसरे में कमी बहुत जल्दी ढ

प्यार करने वालो की प्यारी सी कहानी - अगर प्यार सच्चा हो तो किस्मत उन्हें मिला ही देती है

प्यार करने वालो की प्यारी सी कहानी  किसी  ने सच ही कहा है अगर आप किसी को सच्चे दि ल से चाहो तो कायनात भी उसे आपसे मिलाने में  जुट जाती है। और अगर किस्मत भी साथ दे दे तो वो आपको जरूर मिल जाता है।   यह कहानी कुछ ऐसी ही है जिसमे दो प्यार करने  वाले एक दूसरे से जुदा होने के बाद भी मिल जाते है।  यह कहानी और कहानियो की तरह नहीं है।  इस कहानी में किस्मत दो प्यार करने वालो को फिर से मिलाती  है।  और उन दोनों को भी नहीं पता था  कि वो दोनों जिंदगी में दुबारे मिल पाएंगे।  चलो अब हम कहानी की शुरआत करते है इस कहानी को पूरा पढ़ना जब ही आपको समझ आएगा की प्यार  किसे कहते और उसका पास होने का और जुड़ा होने का एहसास कैसा होता है।  राज और काजल दिल्ली के एक ही कॉलेज में पढ़ते है, दोनों की कॉलेज में दोस्ती हो जाती है।  और धीरे धीरे दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते है।  राज और काजल एक दूसरे को अच्छे से समझने लगते है , और  उन दोनों का समय के साथ साथ दोस्ती और  प्यार बढ़ता जाता है। कॉलेज का आखिरी पड़ाव था और दोनों अब एक दूसरे से अलग हो रहे थे दोनों बेचैन थे की आगे वो मिल पाएंगे या नहीं उनकी जिंदगी उन्हें किस मोड़ पर

श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा - नवरात्री उत्स्व क्यों मनाया जाता है

श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा   दुर्गा पूजन   यदि अखंड दीपक प्रज्वलित करके नौ तक प्रज्वलित रखना चाहते हो तो इसके लिए बड़े दीपक में घी भरा रहे बत्ती निरंतर प्रज्वलित रहे।  गंगाजल अथवा शुद्ध जल से तीन बार प्रक्षालित करले (धोकर) अथवा चावल भी धो ले तो यह अक्षत हो जायेगा।  पंचोचर से श्री गणेश जी का  पूजन करे।  यदि श्री दुर्गा जी की स्वर्ण या रजत  हो तो उसे सिंहासन पर अथवा जल पूर्ण कलश पर स्थापित करके पूजन करे।  यदि गणेश जी की मृतिका (मिट्टी ) की प्रतिमा हो तो उसका दर्पण में (प्रतिबिम्ब) देखकर तथा स्थापना स्थान को साफ़ करले एवं स्वयं को शुद्धकर था शुद्ध वस्त्र पहन कर प्रतिमा की स्थापना करे।  श्री दुर्गा नवरात्रि कथा एवं व्रत  व्रत विधान :- उपवास अथवा फलाहार की इस व्रत में कोई विशेष व्यवस्था या नियम नहीं है।  प्रातः नित्य कर्म से निर्वत होकर तथा स्नान करके मंदिर में अथवा घर पर ही नवरात्र काल में श्री दुर्गा जी का ध्यान करके श्रद्धा भक्ति सहित उनकी कथा प्रारम्भ की जाये।  यह व्रत तथा कथा - विधान कुंवारी कन्याओ के लिए विशेष लाभदायक है।  भगवती दुर्गा की कृपा से समस्त कष्टों, अरिष्टों तथा विघ्न बधाओ

पति पत्नी के बीच का रिश्ता बहुत ही अनमोल और प्यारा होता है

पति पत्नी के बीच का रिश्ता बहुत ही अनमोल और प्यारा होता है शादी के बाद दो इंसान पति पत्नी के रिश्ते में जुड़ते है और इस रिश्ते के साथ दोनों को एक नया परिवार भी मिलता है। और शादी के बाद पत्नी अपने घर परिवार को छोड़ कर पति के साथ रहने चली जाती है और यही से इनके नए जीवन की शुरुरात होती है।  चाहे प्यार  करके शादी हो या फिर घर वालो  की मर्जी से पर नयी जिंदगी की शुरुआत तो शादी के बंधन में बंधने से ही होती है।  यह सब तो आपको पता ही है चलो अब पति पत्नी के बिच के सहयोग और रहने के तरिके की बात करते है।  शादी के बाद पति पत्नी का जीवन बदल जाता है शादी के बाद दोनों की इच्छाएं बदल जाती है और सोच समझ में बदलाव आ जाता है , क्योकि शादी से पहले दोनों ही अकेले और अपने माता पिता के साथ रहे है और दोनों ने अपनी जिंदगी खुल कर जी है।  लेकिन शादी के बाद अब दोनों को एक दूसरे के पसंद और ना पंसद को ध्यान रखना दोनों को आपस में एक दूसरे की हर बात का पता होना चाहिए और एक  दूसरे से कोई गिले शिकवे नहीं  होने चाहिए।  पत्नी की पति से शिकायते  पति पत्नी का रिश्ता मजबूत के साथ साथ बहुत नाजुक भी होता है , और इस रिश्ते में दो