स्कूल के बाद की जिंदगी का फलसफा स्कूल का दौर था यारो की महफ़िल थी वो भी क्या दौर था , न कोई टेंशन, न बाहर वालो का डर था, मौज मस्ती और पढ़ाई में गुजरे दिन थे , उन दिनों घरवाले समझते थे, बस बेटा एक बार स्कूल पास कर लो, उसके बाद तो जिंदगी में स्कून ही स्कून है , पर उन्होंने यह नहीं बताया की उसके बाद की जिंदगी कैसी होती है , और जब स्कूल पास किया तो जिंदगी का फलसफा समझ आता है, अब जिंदगी सरल नहीं कठिन होने वाली है, अब तो जिंदगी में भूचाल सा आ रहा है, सब दोस्त अलग होते जा रहे रहे है, सबकी मंजिल और रस्ते बदल रहे है, दोस्तों का साथ भी छूट रहा है और नए दोस्त भी मिल रहे है, स्कूल का दौर था यारो की महफ़िल थी वो भी क्या दौर था , अब तो सब अपनी दिखावटी जिंदगी में व्यस्त होते जा रहे है, कोई खुद की सुन रहा है कोई परिवार और कोई रिश्तेदारों की सुन रहा है, कोई अपना लक्ष्य बदल रहा है कोई लक्ष्य के पीछे भाग रहा है, पर किसी को नहीं पता था की स्कूल के बाद की जिंदगी उन्हें किस मोड़ पर ले जा रही है , इस दौरान कुछ अनजान शहर और कुछ अनजान देश में जा रहे है, कोई कॉलेज की जिंदगी जी रहा है
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