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राधा कृष्ण जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है

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राधा कृष्ण जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है    राधा कृष्णा जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है  यहां तो सिर्फ हवस में ही प्रेम समाया है इस कलयुग की माया कोई समझ न पाया है।  यहां राम और लक्ष्मण भाइयो जैसा प्यार कोई समझ नहीं पाया है  जायदाद के लिए भाई ने ही भाई का खून बहाया है  श्रवण के भाव माता पिता के लिए कोई नहीं समझ पाया है  आज कल तो माता पिता को बेटा ही आश्रम में छोड़ कर आया है  हरीशचंद्र जैसा सत्यवादी कोई नहीं कहलाया है  आज कल तो सबने झूठ को ही अपनाया है  एक समय पर कुनबा ही परिवार कहलाया है  आज कल तो माता  पिता से अलग होकर ही परिवार भाया  है  सीता माता  जैसी स्त्री ने पति धर्म निभाया है  आज कल की स्त्रियों ने तलाक लेकर पति से छुटकारा पाया है  भगत सिंह जी ने  शहीद होकर  आज़ादी का मतलब  समझाया है  पर आज कल की राजनीती ने हमे फिर से गुलाम  बनाया है रानी लक्ष्मीबाई ने महिलाओ को लड़ना सिखाया है  आज उसी सीख से महिलाओ ने देश में अपना सम्मान बढ़ाया है  एक समय  राजाओ ने आपस में लड़कर देश को गुलाम बनवाया है  और आज राजनीती ने जनता को अपना गुलाम बनाया है  इस कलयुग की माया कोई समझ न पाया है।  उम्मीद करता हूँ आप

स्कूल की मस्ती, यारो की महफ़िल, वो भी क्या दौर था

स्कूल की मस्ती, यारो की महफ़िल, वो भी क्या दौर था



वो भी क्या दिन थे स्कूल का दौर था,

यारो की  महफ़िल थी और जिंदगी मौज में थी,

प्रेयर तो होती थी लेकिन हम कभी प्रेयर में नहीं होते थे,

टाई के नाम पर फंदा दे रखा था, लेकिन मेरे यारो ने उसका खेल बना रखा था ,

मुझे याद है मेरे यारो में किसी को टाई बांधनी भी नहीं आती थी,

लंच टाइम से पहले हम अपना लंच खा जाते थे,

फिर लंच में सबका लंच छीन कर खाते थे,

होमवर्क कभी किया नहीं था, अगर किसी ने किया तो उसकी कॉपी मिलती नहीं थी,

 क्लास की लड़कियों से होमवर्क करवाते थे क्योकि हमे मौज मस्ती भी करनी होती थी,

मॉनिटर की जगह क्लास में हमारी चलती थी,

हिस्ट्री और इंग्लिश का पीरियड हमेशा गोल होता था,

क्योकि हिस्ट्री की क्लास में नींद आती थी,

और इंग्लिश का होमवर्क नहीं होता था,

कभी कभी बुक होते हुए भी बोल देते थे की आज बुक नहीं लाये 

क्योकि इस बहाने सारे दोस्त क्लास से एक साथ बाहर होते थे ,

दोस्तों के नाम अजीबो गरीब होते थे,

जैसे कोई पागल, बंदर, बकरी, लाम्बा, तरनुम, नाटा, स्टीम इंजिन 

ये सब वो नाम थे जिनको असली नाम के बदले इन सब नामो से जाना जाता था,

और सबसे अच्छी बात इन प्यार वाले नामो से हम सब खुश भी रहते थे,

हम सब लड़ते झगड़ते थे लेकिन सब एक हो जाते थे,

उस समय न कोई जात पात और न ही अमीरी गरीबी का भेदभाव होता था,

सब एक दूसरे को अपना ही मानते थे,

कभी स्कूल की खिड़की तोड़े कभी दरवाजे कभी टॉयलेट तोड़े थे,

लेकिन क्लास के अध्यापक हमेशा बचा लेते थे ,

जब भी स्कूल में कोई प्रोग्राम होता था,

पीटीआई और क्लास अध्यापक बड़े प्यार से बुलाते थे,

और कहते की आज स्कूल तुम सम्भालो इतना भरोसा करते थे,

जब भी माता पिता को बुलाने की लिए कहते थे,

तो हम नकली माता पिता ले आते थे जो अध्यापक को ही सुना देते थे,

इतना हमे स्कूल या घर वालो ने नहीं घुमाया जितना हम खुद घूम आते थे,

बसों में हम टिकट नहीं लेते थे और न ही कंडक्टर मांगता था,

जो कंडक्टर टिकट मांगता था या तो वो पिट जाता था या फिर बस टूट जाती थी,

सब दोस्त निक्क्मे थे लेकिन दिल के बुरे नहीं थे,

वो भी क्या दिन थे स्कूल का वो दौर था,

अब तो बस यादें ही रह गयी है 

बाकि तो सब बीवी और बॉस की हुज़ूरी में लग गए।

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आपके भी कुछ हसीन ऐसे ही पल रहे होंगे , अगर आप अपने वो हसीन पल हमसे बाटना चाहते हो तो हमे हमारी मेल पर भेजे npccolguy1@gmail.com हम उस हसीन पल को अपने ब्लॉग में लिखेंगे और पोस्ट करेंगे। आपका अपना ब्लॉग www.idealjaat.com

 

धन्यवाद 

आपका नवी  



 

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