Poem on Job- बड़ी हसीन होगी तू ऐ नौकरी सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं

 नौकरी 



बड़ी हसीन होगी तू ऐ नौकरी 
सारे युवा आज तुझपे  ही मरते हैं 

सुख चैन खोकर चटाई पर सोकर 
सारी रात जग कर पन्ने पलटते है 
दिन में लहरी और रात को मैगी 
चाय और सिगरेट के शौकीन होकर 
आधे पेट ही खाकर  तेरा नाम जपते है 
सारे युवा आज तुझपर ही मरते है ।

एक शहर से दूसरे शहर बस नौकरी तलाशने जाते है 
अनजान शहर में छोटा सस्ता रूम लेकर 
किचन बैडरूम सब उसी में सहेज कर 
चाहत में तेरी अपने माँ बाप से दूर रहते है
और वही के बन कर रह जाते है 
सारे युवा आज तुझपर ही मरते है ।

राशन की गठरी सर पर उठाये 
अपनी मायूसी और मजबूरियाँ खुद ही छुपाए
खचाखच भरी ट्रेन मे बिना टिकट के
रिस्क लेके आज सफ़र करते हैं 
सारे युवा आज तुझपर ही मरते हैं। 

इन्टरनेट अखबारो मे तुझको तलाशते 
तेरे लिए पत्र पत्रिकाएं पढ़ते पढ़ते 
बत्तीस साल के जवान कुँवारे फिरते है 
तेरी एक हा के इंतजार मे 
रात रात भर पलकों को भी नहीं झपकते है ।

तू कितनी हसीन है ऐ नौकरी 
सारे युवा आज तुझपे ही मरते है ।

धन्यवाद 
आपका नवीं 

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