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Wife - पत्नी जीवन संगनी का रूप है

पत्नी क्या है  - नीचे पढ़ो नीचे  पत्नी वो शख्सियत है   जो अपने माता पिता को छोड़ कर  अपने पति के माता पिता को अपनाती है।  जो अपना घर त्याग कर  अपने पति के घर को अपनाती है।  जो अपने  बचपन  के अल्हड़पन  छोड़ कर   अपनी सूझ बुझ से जवानी को अपनाती है।  जो अपने सारे दुःख भूल कर  पति के दुःख को अपनाती है।    जो अपने दोस्तों का साथ छोड़ कर  अपने पति को दोस्त के रूप में अपनाती है।  जो अपने बहते अश्को को रोककर   अपनी मजबूरिया छिपाती है।   जो अपने पति की खुशियों के लिए  सारे जग से लड़ जाती है।  जो छोटे से सपने लेकर  अपने पति के घर को स्वर्ग बनाती है।  जो अपने ख्वाब भूलकर  अपने  जीवन को पति और बच्चो पर न्यौछावर करती है।    जो पति के गमो को  बिन बोले समझ जाती है।  जो पति के जीवन का वह हिस्सा है जिसे हम जीवन संगनी के रूप में  जानते है।   पत्नी रात में अमावस का चाँद है  तो सुबह सूरज की पहली किरण लगती है।    हर कोई पत्नी की खामिया तो गिनवा देता है  पर पत्नी की कोई खुबिया नहीं गिनवाता है।  पत्नी पर जोक तो हर कोई बना देता है  पर पत्नी की हिम्मत को कोई नहीं दिखाता है।  Kalyug Chnaged is everythings यह कविता उन

Kalyug Changed everything - (देखो भाई कैसा कलयुग आया है )

 देखो भाई कैसा कलयुग आया है  राधा कृष्णा जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है  यहां तो सिर्फ हवस में ही प्रेम समाया है देखो भाई कैसा कलयुग आया है।  यहां राम और लक्ष्मण का भाईचारा  कोई समझ नहीं पाया है  जायदाद के लिए भाई ने ही भाई का खून बहाया है  देखो भाई कैसा कलयुग आया है।  श्रवण के भाव माता पिता के लिए कोई नहीं समझ पाया है  आज कल तो माता पिता को बेटा ही आश्रम में छोड़ कर आया है  देखो भाई कैसा कलयुग आया है।  हरीशचंद्र जैसा सत्यवादी कोई नहीं कहलाया है  आज कल तो झूठ ने ही सबको अपनाया है  देखो भाई कैसा कलयुग आया है।  एक समय पर कुनबा ही परिवार कहलाया है  आज कल तो माता  पिता से अलग होकर ही परिवार भाया  है  देखो भाई कैसा कलयुग आया है।  सीता माता  जैसी स्त्री ने पति धर्म निभाया है  आज कल की स्त्रियों ने तलाक लेकर पति से छुटकारा पाया है  देखो भाई कैसा कलयुग आया है।  भगत सिंह जी ने  शहीद होकर  आज़ादी का मतलब  समझाया है  पर आज कल की राजनीती ने हमे फिर से गुलाम  बनाया है देखो भाई कैसा कलयुग  आया है।  रानी लक्ष्मीबाई ने महिलाओ को लड़ना सिखाया है  आज उसी सीख से महिलाओ ने देश में अपना सम्मान बढ़ाया है  देखो  भ

Missing Childhood days (वो बचपन के दिन )

वो बचपन के दिन    वो बचपन के दिन वो बचपन की बाते आज भी याद आती है।  वो मस्ती में रहना, माँ की डांट को हल्के में सहना, मिट्टी के घर बनाकर ख्वाबो की दुनिया मे रहना।  स्कूल का काम न हुआ तो , स्कूल न जाने के बहाने बनाना, फिर भी मम्मी ने जबरदस्ती स्कूल छोड़ के आना।  वो पेड़ो की छांव में बैठना  सावन में झूलो का आंनद था लेना।  गर्मियों की छुट्टियों में था नाना के जाना और ओर अगली छुट्टियां में रामलीला का था आनन्द लेना।  जब भी  करते थे  हम शरारत  माँ का पापा के गुस्से से हमे बचाना  घर मे कोई भी मेहमान का था आना, हमे पैसो का आता था लालच आना।  Friendship Goals Poem- click here बचपन में सबके साथ था खेलना , फिर भी मन मे जात पात ओर धर्म का ख्याल भी न आना।  इतना प्यार था हमारा वो बचपन का जमाना। वो बचपन के दिन वो बचपन की बातें आज भी बहुत याद आती है। जीवनसाथी हो ऐसा राधा कृष्णा के प्यार जैसा  #नवी माँ मेरा अभिमान है - माँ मेरा स्वाभिमान है  मेरा गांव है शहर से निराला - गांव की सभ्यता  कविता (Poetry , Poem) Stories (कहानिया) अगर आपको मेरी ये कविता बचपन के दिन अच्छी लगी हो तो इसे शेयर और कमेंट जरूर करे।  औ

Friendship Goal - दोस्ती एक एहसास

 दोस्ती एक एहसास  मैं यादों का पिटारा खोलू तो  कुछ दोस्त बहुत याद आते है।  भले ही कितने निक्क्मे होते है दोस्त लेकिन  उनके साथ बिताये हुए हर लम्हे याद आते है।  दोस्ती की सबसे खास बात होती है  कि दोस्ती की कोई जात पात नहीं होती है।  दोस्ती का एक ईमान होता है  कि दोस्ती से बड़ा कोई ईमान नहीं होता।  दोस्त कमीने जरूर होते है  लेकिन सुख दुःख में दोस्त ही साथ होते है।  लड़ते है  झगड़ते है  फिर भी साथ रहते है दोस्त  क्योकि अपने यारो पर जान निसार करते है दोस्त।  जैसे चाय में अदरक के बिना स्वाद नहीं आता  वैसे ही ज़िंदगी में दोस्तों के बिना निखार नहीं आता।  दोस्ती का भी अपना एक उसूल होता है , की दोस्ती में कमीनापन जरूर होता है।  दोस्ती एक एहसास है  इसलिए तो हर किसी की जिंदगी में दोस्त खास है।  पति और पत्नी के बीच का रिश्ता बड़ा अनमोल और प्यारा होता है     संघर्ष ही जीवन का उद्देश्य है दिवाली के उत्स्व पर बनाई गयी रंगोली  जिद्दी बच्चे को कैसे समझाये  thoughts (विचार ) कहानिया  कविता (Poetry ) अगर आपको मेरी यह कविता अच्छी लगी हो तो कमेंट करके जरूर बताये  और इसे शेयर जरूर करे ।  आप हमारे ब्लॉग पर अपनी क

Happy Diwali - 2021(रंगोली)

  दीपावली की शुभकामनाएं आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं ये दीवाली के पावन अवसर पर मैंने रंगोली बनाई है। आशा करता हूँ कि आप सभी की दीपावली बहुत अच्छी रही हो। आप सभी को मेरी ओर आपके अपने ब्लॉग www.idealjaat.com की तरफ से दीपावली , भाईदूज, गोवर्द्धन महाराज ओर छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं। धन्यवाद आपका नवी 

Rooted - boy and discrimination Girl(अंतर् - लड़का और लड़की में भेदभाव )

अंतर् - लड़का और लड़की में भेदभाव  एक छोटा  परिवार शहर में रहता था।  घर का मुखिया अमित एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पर था और उनकी पत्नी  सीमा हाउस वाइफ थी।  उनके दो बच्चे राहुल और रानी थी।  दोनों बच्चो में एक साल का अंतर था।अमित के माता पिता गाँव में रहते थे। एक दिन अमित के माता पिता गांव से शहर बच्चो से मिलने आये।   जिद्दी बच्चे  की कहानी - एक माता पिता अपने ज़िद्दी बच्चे को कैसे सुधारे  अमित उन्हें लेने रेलवे स्टेशन पर गया और आधे घंटे बाद उनकी रेल आ गयी अमित ने उनका  समान लिया और उन्हें गाड़ी में बिठा घर की तरफ चल दिया। गाड़ी में बैठते ही अमित के माता पिता ने कहा की हमारा पोता कैसा है।  अमित ने कहा की आप घर ही चल रहे हो मिल लेना।  और फिर अमित ने कहा की आपको रेल में कोई परेशानी तो नहीं हुई। अमित के माँ ने कहा की नहीं हम तो आराम से आये है और तेरे लिए और पोते के लिए अचार भी लाये है, पर तेरे पिता जी रस्ते में सोये ही नहीं उन्हें डर था की कोई समान चुरा न ले जाए और ये कह कर अमित और उसकी माता हंसने लगी।  अमित के पिता ने कहा की तुम दोनों मिलते ही मेरी खिचाई करने लग जाते हो।  और पूछा की म

जिद्दी बच्चे की कहानी - how to explain to a stubborn child

एक जिद्दी बच्चे को कैसे समझाये और सुधारे  एक छोटा ज़िद्दी बच्चा था जिसका नाम राहुल था।  उसे बाहर का खाना खाने की आदत थी जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर, चिप्स, पेटीज , कोल्ड्रिंग इत्यादि।  उसके माता और पिता इस बात से बहुत परेशान थे।  उन्होंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन राहुल उनकी बात नहीं सुनता था और ज़िद करता या फिर रोने लग जाता था। एक दिन राहुल स्कूल से आया और मम्मी को घर आकर बोला की मम्मी बहुत तेज भूक लगी है कुछ खाने को दे दो।  Click here for Amazon Prime Video मम्मी: ने कहा की ठीक है बेटा मैं पोहा बना देती हूँ।  राहुल : नहीं मुझे पोहा नहीं खाना मुझे बर्गर और कोल्ड्रिंग चाहिए।  मम्मी : घर में फल रखे है वो खा ले , केले और सेब है  राहुल : नहीं मुझे तो कोल्ड्रिंग और मेग्गी या बर्गर  चाहिए।  मम्मी : उसकी ज़िद के आगे झुक गयी और कहा ठीक है कोल्ड्रिंग लिया मैं मैग्गी बना देती हूँ।  राहुल : बहुत खुश हुआ और कोल्ड्रिंग ले आया और उसने मेग्गी और कोल्ड्रिंग लिया।  उस दिन रात को राहुल की मम्मी ने पराठा और पनीर की  सब्जी बनाई। राहुल के पापा और मम्मी खाने के लिए साथ आकर बैठे।   राहुल :  मुझे भूख नहीं है आप