वकील की समझदारी एक बार एक वकील साहब कोर्ट से शाम को घर लौट रहे थे। रास्ते में वकील साहब एक नदी के किनारे पत्थर पर बैठ गए और थोड़ा आराम फरमाने लगे उन्होंने एक पेपर निकाला और कुछ लिखने लगे थोड़ी देर बाद जैसे ही वकील साहब उस पत्थर पर उठने लगे उनका पैन नदी में गिर गया। यह देख वकील साहब परेशान हुए और उन्होंने मन ही मन सोचा की आज ही तो यह नया पैन खरीदा था और आज ही यह गिर गया। वकील साहब का बिना पैन के जाने का मन नहीं कर रहा था वह दुखी नज़रो से नदी में अपने पैन को तराशने लगे पर उन्हें पैन नहीं दिख पा रहा था। उनके मन में यही दुःख था की आज ही तो पैन खरीदा था और आज ही नदी में गिर गया। जब नदी में बड़ी बड़ी लहर आयी और नदी से कोई भगवान बाहर निकले। वकील ने पूछा आप कौन है उन्होंने कहा मै वरुण देव हूँ। वकील साहब : ये देख कर वकील साहब के ध्यान में एक दम सोने की कुल्हाड़ी वाली कहानी याद आयी। वरुण देव : हे मनुष्य तुम इतने परेशान क्यों हो और कोन हो तुम। वकील साहब : हे प्रभु मै पेशे से वकील हूँ और मै यहां बैठा था और नदी में मेरा पैन गिर गया वो पैन मैंने आज ही खरीदा था। वरुण देव : तुम चिंता मत करो और रु
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