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नारी (स्त्री) का क्या दोष है - समाज के आगे विवश स्त्री (नारी)

लेखक - नविन 🖋 दोष क्या है नारी का - समाज नारी पर ही क्यूँ ऊँगली उठाये नमस्कार मेरे इस कहानी को पढ़ने से पहले मैं आपसे हाँथ जोड़ कर विनती करना चाहता हूँ यदि आपके पास समय है तभी आप पढियेगा अन्यथा बीच में कहानी को अधूरा छोड़ने से आपको समझने में कठिनाई होगी.. !  रामु काका हमारे गाँव के सबसे ईमानदार और खूब मेहनती इंसान थे उनका चूड़ी बनाने का व्यवसाय था। वह बहुत सुंदर सुंदर रंग बिरंग के चूड़ी बनाते थे, हमारे गाँव के सभी महिलाएँ उनसे ही चूड़ियाँ खरीदा करती थी, रामु काका की पत्नी "बुधनी" उनके कामों में खूब मदद करती थी। गाँव गाँव घूमकर चूड़ी बेचा करती थी और जो पैसे जमा होते थे उससे घर का राशन ले आती। और बचे हुए पैसे को एक गुलक् में रखते जाती थी। उन दोनों का बहोत ही आनंदमय जीवन बीत रहा था। बस दुःख था तो सिर्फ एक बात का के "रामु" काका के अपनी कोई औलाद नहीं थी। काकी इस बात को लेकर हमेशा दुखी रहती थी। और मन ही मन खूब रोती थी काका हमेशा उन्हें समझाते थे की अरे "बुधनी" रोती क्यों हैं भगवान ने चाहा तो सब ठीक हो जायेगा। काका की यह बात सुन कर काकी के मन में एक नई

एक पिता और बेटी की कहानी - हर किसी की बेटी की इज्जत करो

एक पिता और बेटी की कहानी  पिता ने बेटी के सर पर  हाथ रख कर बोला  मैं तेरे लिए ऐसा पति खोज कर लाऊंगा  जो तुझे बहुत प्यार करे  तेरी भावनाओ का सम्मान करे,  तेरे सुख दुःख को समझ सके , तेरी आँखों में आँसू न आने दे , तेरी हर छोटी सी छोटी  ख्वाईशो को पूरा कर सके  बेटी ने पूछा:- ऐसा क्यों पापा ? पिता बोला :- बेटी हर बाप का सपना  होता है की उसकी बेटी को  राजकुमार जैसा पति मिले  जो उसे बहुत प्यार दे  और उसकी हमेशा खुश रखे  बेटी :- तो पापा नाना जी ने भी  आपको मम्मी का हाथ यही सोचकर दिया होगा  की आप भी राजकुमार हो  फिर आप मम्मी से हमेशा क्यों लड़ते और  उन्हें रुलाते हो , आप उन्हें कही बाहर भी नहीं ले जाते  और प्यार भी नहीं करते  और हमेशा मम्मी पर चिल्लाते रहते हो  क्या आप अच्छे वाले राजकुमार नहीं हो  ये सुन पिता को एहसास हुआ की  मुझे भी किसी ने राजकुमार समझ कर  अपने कलेजे का टुकड़ा सौपा दिया है  नौकरी करने वालो का फलसफा  आज खुद बाप बनने के बाद एहसास हुआ की  अगर अपने दिल के टुकड़े को सही हाथ में नहीं सौंपा  तो उसके दिल के टुकड़े हो जायेगे  जो कोई भी बाप नहीं सह पायेगा  इसलिए जैसा आप अ