स्वार्थी मनुष्य आज हम बात करेंगे स्वार्थी इंसान की। पहले हम स्वार्थ की परिभाषा को समझेंगे - स्वार्थ को हम खुदगर्ज भी कहते है , वह मनुष्य जो अपने फायदे या काम के लिए किसी से बात करे और जब उसका काम निकल जाये तो वह किनारा कर ले और फिर दुबारे काम होने पर उसे याद करे उसे हम सरल भाषा में स्वार्थ कहते है। स्वार्थी मनुष्य अपने काम और फायदे के किसी को नुक्सान भी पहुंचा सकता है। वैसे तो हम सब स्वार्थ का अलग अलग मतलब निकालते है। जैसे आप कभी एक कक्षा या सभा में किसी से पूछेंगे तो आपको हर कोई स्वार्थ का अलग अलग मतलब बतायेगा। लेकिन सब जवाब मिलते जुलते ही मिलेंगे क्योकि स्वार्थी मनुष्य अपने फायदे के लिए सब कुछ करता है। भगवान ने मनुष्य का स्वभाव जानवरो से अलग बना रखा है। और मनुष्य अपने स्वभाव के हिसाब से ही चलता है। जिस तरह मनुष्य की पांचो उंगलिया एक जैसी नहीं होती है उनकी इच्छाएं असीमित होती है (मनुष्य की इच्छाएं असीमित और अनंत ) । उसी प्रकार हर मनुष्य का स्वभाव एक जैसा नहीं होता है। क्योकि हम मनुष्य ऐसे ही होते है। एक मनुष्य कभी खुद में कमी नहीं देखता लेकिन दूसरे में कमी बहुत जल्दी ढ
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