माँ शब्द अपने अपने आप में परिपूर्ण 'माँ' ये शब्द अपने आप में ही पूर्ण है माँ के बारे में आप कितना भी लिख लो वो अपने आप में अधूरा और अपूर्ण लगेगा क्युकी उसकी पूर्णता दर्शाने के लिए शब्द ही कम पड़ जाते है! इस संसार में माँ का आँचल जिसे मिल जाये जिसे उसके आँचल की पनाह मिल जाये उसकी जिंदगी अपने आप में ही सफल हो जाती है! हम माँ का गुणगान किन शब्दों में करे वह जीती भी हमारे लिए और मरती भी हमारे लिए है! लोग कहते है कि जब एक बच्चा औरत की कोख से जन्म लेता तब वो औरत माँ बनती है! परन्तु लोगो के यह नहीं पता की जब उस औरत को पता लगता है की वो गर्भवती है उसकी कोख में एक बच्चा पल रहा है वह तभी ही माँ बन जाती है! उस औरत का अल्हड़पन उसकी मौज मस्ती रहन -सहन खान -पान और उसका सवभाव बदल जाता है! पहले वह अपने लिए खाती थी परन्तु अब वह अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य के लिए खाती है! कुय्की अब वह औरत माँ बनने जा रही है और यह पल उसकी ज़िदगी का सबसे हसीन पल है! जिसके वह बस सपने संजोती थी आज उसका वह सपना पूर्ण होने जा रहा है वह जो मस्त अल्हड़ अपने में मग्ज़ रहने वाली औरत माँ
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