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पहले माँ के सामने सर झुकाओगे या फिर भगवान् के सामने (Mother or God)

अगर आपसे पूछा जाये की सबसे  पहले माँ के  सामने सर झुकाओगे या फिर भगवान्   के सामने  आप सबसे पहले अपनी माँ के सामने सर झुकाओगे क्योकि माँ ही तो आपकी पहली गुरु होती है और माँ ही तो आपकी जन्मदाता होती है आपके जन्म लेने के बाद आपको सब कुछ तो माँ ही सिखाती है कि चलना कैसे है खाना कैसे है और रहना कैसे है और भगवन कौन है अगर माँ ही आपको नहीं सिखाती और बताती  की भगवान कौन है तो आपको कैसे पता लगता है की भगवन कौन है।  आपके लिए सबसे पहले आपकी माँ ही भगवान का रूप है और आप इस बात को झुठला नहीं सकते है।  और न ही इस बात का भगवान इंकार कर सकते है।  क्योकि भगवान ने ही तो माँ को सबसे पहले ये दर्जा दिया है।    माँ से इतना प्यार क्यों करते है सब  ऊपर दिए बातो से हमें ये एहसास हो  गया है की माँ ही हमारी जन्मदाता है और हमें  हमारी जीवनशैली में हमारी माँ ही हमें सब कुछ सिखाती है वो हमेशा हमारी फ़िक्र करती है बचपन से लेकर जवानी तक एक माँ ही तो है जो हमारी फ़िक्र करना नहीं छोड़ सकती है। माँ ही तो हमें पापा की पिटाई से बचाती है।  माँ के लिए तो हम जितने अलफ़ाज़ लिखे वह भी कम पड़  जाते है। एक माँ ही तो है जो हमें देख कर

माँ मेरा अभिमान है - माँ मेरा स्वाभिमान है

माँ मेरा अभिमान और मेरा स्वाभिमान   माँ को अपने शब्दों में बयान कर दू मैं वो नहीं  माँ के रूप को साकार कर दू मैं वो नहीं  माँ की मैं क्या तारीफ करूँ  मैं तो उनकी जूती की धूल भी नहीं।  मेरी खुशियों में जो खुश होती है वो मेरी माँ है  मेरे दुःख में जो साथ होती है वो  मेरी माँ  है  जिसका आशीर्वाद हमेशा साथ रहे वो  मेरी माँ  है  और बिन कहे सब समझ जाये वो  मेरी माँ  है।  नारी (स्त्री) का क्या दोष है - समाज के आगे विवश स्त्री (नारी) माँ  हैं  तो मेरा अभिमान है  माँ  हैं  तो मेरा स्वाभिमान है माँ  हैं  तो मेरा सम्मान है    माँ  है तो मेरा नाम है।  माँ  ही तो भगवान का रूप है  माँ  ही इस जगत का स्वरूप है  माँ  ही तो जननी का रूप है  और  माँ  ही तो सबसे सुन्दर  संसार का स्वरूप है।   माँ  की ऊँगली पकड़ कर चलना सीखा  माँ  के आँचल में पलना सीखा   अब इससे आगे क्या कहुँ मैं  माँ  तुझसे ही तो मैंने जीना सीखा ।  मेरा गांव है शहर से निराला    माँ  मैं सीधा साधा भोला भाला  माँ  तेरे लिए सबसे अच्छा हूँ  कितना भी बड़ा हो जाऊ मैं  माँ लेकिन  माँ  तेरे लिए तो मैं बच्चा हूँ ।  ऐ मेरे मालिक  

'माँ' - भगवान का रूप

माँ शब्द अपने अपने आप में  परिपूर्ण  'माँ' ये शब्द अपने आप में  ही पूर्ण है माँ  के  बारे में  आप कितना भी लिख लो  वो अपने आप  में अधूरा  और अपूर्ण लगेगा क्युकी उसकी पूर्णता दर्शाने के लिए शब्द ही कम पड़ जाते है! इस संसार में माँ का आँचल जिसे मिल जाये जिसे उसके आँचल की पनाह मिल जाये उसकी जिंदगी अपने आप में  ही सफल हो जाती है! हम माँ का गुणगान किन शब्दों  में करे वह  जीती भी हमारे लिए  और मरती भी हमारे लिए है! लोग कहते है कि जब  एक बच्चा औरत की कोख से जन्म लेता  तब वो औरत माँ बनती है! परन्तु लोगो के यह नहीं पता की जब उस औरत को पता लगता है  की वो गर्भवती है उसकी  कोख में एक बच्चा पल रहा है वह  तभी ही माँ बन जाती है! उस औरत का अल्हड़पन उसकी मौज मस्ती  रहन -सहन खान -पान और उसका सवभाव बदल जाता है! पहले वह अपने लिए खाती थी परन्तु अब वह अपने गर्भ में पल रहे बच्चे  के स्वास्थ्य के लिए  खाती है! कुय्की अब वह औरत माँ बनने जा रही है और यह पल उसकी ज़िदगी का सबसे हसीन पल है!  जिसके वह बस सपने संजोती थी आज उसका वह सपना पूर्ण होने जा  रहा है वह जो मस्त अल्हड़ अपने में  मग्ज़ रहने वाली औरत माँ 

माँ : व्यक्ति के जीवन की प्रथम गुरु

माँ की ममता  माँ एक ऐसा शब्द है जिसका अर्थ सीमित शब्दों में बांधना संभव नहीं है। माँ का दूसरा नाम ममता है, क्यूकी  माँ की ममता समुद्र से भी गहरी है, और   माँ एक वह सुखद अनुभूति है जो हमारे सारे दुःख, कष्टों को अपने ममता के आँचल से ढँक देती है। माँ शब्द की गहराई को परिभाषित करना सरल नहीं है क्यों की उसमे पूरा ब्रह्माण्ड का ज्ञान समाहित होता है। माँ का स्थान किसी भी व्यक्ति के जीवन में सर्वोच्च होता है। माँ न केवल बच्चे को जीवन प्रदान करके इस संसार में लाती है अपितु किसी भी व्यक्ति के जीवन की प्रथम गुरु कहलाती है। एक बच्चा इस संसार में आने पर अपनी माँ पर निर्भर हो जाता है, माँ बड़े स्नेह से उसका पालन पोषण करके उसे जीवन ज्ञान देने लगती है। यही कारण है की माँ को गुरु का स्थान प्राप्त है। माँ के अनेक रूप होते है, वह अपने सुखों का त्याग करके अपने बच्चों की देख भल करती है तथा उसको जीवन में हर सुख प्राप्त हो सके इसलिए दिन रात एक कर देती है। माँ एक सुखद अनुभूति है। वह एक शीतल आवरण है जो हमारे दुःख, तकलीफ की तपिश को ढँक देती है। उसका होना, हमें जीवन की हर लड़ाई को लड़ने की शक्ति देता रहता है