التخطي إلى المحتوى الرئيسي

PEOPLE WHO KEEP THINKING ALL THE TIME - जो व्यक्ति हर समय सोचते रहते है वह एक बारे जरूर पढ़े

जो व्यक्ति हर समय सोचते रहते है  वह एक बारे जरूर पढ़े 



एक बार चीन के हिस्से में बहुत बड़ा  मठ था उस मठ में लगभग 500 भिक्षु रहते थे।  वह सब अपने गुरु के मार्गदर्शन में खुद को पहचानने का प्रयास कर रहे थे।  एक दिन एक लड़का उस मठ में शिष्य बनने के लिए आया उसे गुरु से मुलाकात की और गुरु से कहा की मैं खुद जानना चाहता हूँ ,  मैं सच की तलाश कर रहा हूँ और मैं जानना चाहता हूँ की सच क्या होता है  गुरु ने उस लड़के के तरफ देखा और कहा की तुम सच जानना चाहते हो तो तुम्हे अपना पूरा जीवन दांव पर लगाना होगा और फिर भी यह नहीं कहा जा सकता की इस जीवनकाल में तुम सच का पता लगा सकते हो या नहीं।  गुरु ने कहा की क्या तुम इसके लिए त्यार हो , यह सुनकर उस शिष्य ने कहा की गुरु जी मैं यहाँ पीछे मुड़ने के लिए नहीं आया हूँ।  मैं इसके लिए त्यार हूँ तो गुरु ने कहा अगर ऐसा है तो एक काम करो इस मठ में पांच सो भिक्षु है तुम उनके लिए चावल कूटने का काम करो तुम सुबह से लेकर शाम तक चावल कूटने का काम करते रहो और जब तुम थक जाओ तो तुम सोने चले जाओ और फिर उठ कर तुम चावल कूटने का काम शुरू कर दो इस तरह तुम हर सुबह बस यही काम करते रहो इसके अलावा कुछ और काम  मत करना और न ही किसी और चीज़ के बारे में सोचना बस इस रस्ते पर चलते रहना और दुबारा मेरे पास मत आना और जरूरत पड़ने पर मैं खुद तुम्हारे पास आऊंगा।  

उस लड़के ने गुरु का आदेश मानते हुए  चावल कूटना शुरू कर दिया।  उस मठ में पांचसो भिक्षु थे तो इसलिए उन्हे भोजन की आवश्यकता पड़ती थी और वह लड़का इसलिए सुबह जल्दी उठकर चावल कूटना शुरू कर देता था और देर रात तक चावल कूटता रहता था और फिर थक कर उसी कमरे में सो जाता था जहा वह चावल कूटता था और वह किसी से बात नहीं करता था और न ही कोई उसके पास बात करने आता था।  चावल कूटते हुए उसके मन में पुराने विचार आते थे लेकिन जब उसे कोई नया विषय नहीं मिला तो वह विचार धीरे धीरे खतम होने लगे वह अपना नाम तक भूल गया वह हमेशा चुप रहता था और किसी से बात भी नहीं करता था और विचारहीन अवस्था में चावल कूटता रहता था उसने न ही कभी ध्यान लगाया था और न ही कोई शास्त्र पढ़ा था , मठ के  बाकि शिष्य उसे मुर्ख समझते थे और ऐसा करते हुए 12 साल बीत गए थे। 

12 साल बाद एक दिन गुरु ने घोषणा की ,  मुझे अपना उत्तराधिकारी चुनना है अब मेरा आखिरी समय  आ गया है  जो मेरे बाद इस मठ का उत्तराधिकारी होगा इसलिए मेरा कोई भी शिष्य जिसे लगता है की उसे आत्म ज्ञान हो गया है और उसने खुद को जान लिया है तो आज रात मेरे दरवाजे के पास आकर इस दीवार पर कुछ पंक्तियां लिखे जिसमे उसकी जिंदगी का सारा अनुभव समाया हो कई शिष्यों ने इसके बारे में सोचा और मठ के एक मुख्य शिष्य ने वंहा जाकर कुछ पंक्तिया लिखी उसे बौद्ध ग्रन्थो  का बहुत ज्ञान था तो सभी शिष्यों को लगता था की अगला उत्तराधिकारी बन सकता उसने लिखा था की मन एक दर्पण की तरह है जिस विचारो और  इच्छाओ की धूल जमा हो जाती है इस धूल को हटाने के लिए ही ध्यान है और जो इस ध्यान से धूल हटा लेता है उसका मन का दर्पण साफ़  हो जाता है वह मोक्ष को पा लेता है।  अगली सुबह जब गुरूजी उठे  उन्होंने इन पंक्तियों को देखा और यह देख उन्हें बहुत गुस्सा आया और उन्होंने कहा किस बेवकूफ  ने यह सब कचरा मेरी दीवार पर लिखा है वह शिष्य जिसने यह लिखा वह चुप रहा हालाँकि उसने जो पंक्तिया लिखी थी वह ज्ञान से भरी थी लेकिन यह सब किताबी ज्ञान था वह शिष्य बहुत चालक था उसने पंक्तिया लिखी लेकिन उसने अपने हक्ष्ताक्षर नहीं किये क्योकि वह खुद इस बात से निश्चित नहीं था  लिखा वह सही है या नहीं क्योकि उसे आत्म साक्षत्कार नहीं हुआ था और गुरु ने इन पंक्तियों को खारिज कर दिया यह देख कर सब हैरान रह गए और पुरे मठ में यह घटना विषय का चर्चा बन गयी इस विषय  करते हुए दो शिष्य वह से गुजरे जहा वो एक शिष्य चावल कूटता था वह बारह साल पहले इस मठ में आया था उन दोनों शिष्य की चर्चा सुनकर वह धिरे से हंस पड़ा उन दोनो शिष्य ने उसे देखा और पूछा की तुम क्यों हंस रहे हो क्योकि उन दोनों के सामने तो वह बहुत तुच्छ शिष्य था उन्होंने उसे कभी ना तो ध्यान करते देखा था और ना ही शास्त्र पढ़ते हुए हर कोई उसे मुर्ख समझता था क्योकि उसे बस चावल कूटना आता था और उस मठ में बहुत बड़े बड़े विद्वान थे लेकिन उसे उस मठ में किसी से कोई मतलब नहीं था।  और उसे हँसता हुआ देखकर वह दोनों शिष्य हैरान हो गया उन्होंने फिर उससे पूछा की तुम क्यों हँसे वह बोनो मैं इसलिए हंसा क्योकि गुरु जी सही कह रहे यह सब पंक्तिया कचरा है इन पंक्तियों का कोई मूल्य नहीं और वह दोनों शिष्य चौंक गए।  उन्होंने उससे पूछा की तुम ऐसी पंक्तिया लिख सकते जो उनसे बेहतर हो उसने कहा नहीं क्योकि मैं तो अनपढ़ हूँ पर हां मैं बोल सकता हूँ अगर तुम चाहो तो उन पंक्तियों को लिख सकते हो तो मैं तुम्हारे साथ जाने को तैयार हूँ उन दोनों शिस्यो ने कहा ठीक वह दोनों और चावल कूटने वाला गुरु के कमरे पास गए और चावल वाले ने कुछ पंक्तिया बोली और दूसरे शिष्य ने उन पंक्तियों को दिवार पर लिख दिया और पंक्तियों के निचे लिख दिया चावल कूटने वाला।  उन्हें लगा गुरूजी उस पर भी गुस्सा करेंगे लेकिन वह पंक्तिया बहुत अद्धभुत थी वह पंक्तिया थी  की मन तो बस भ्रम है न ही मन है और ना ही मन का कोई दर्पण है और जब  मन ही नहीं है तो धूल कंहा ठहरेगी और जो यह  जान गया है वह सच जान गया है जब गुरु ने इन पंक्तियों को देखा तो वह आधी रात को उठे और उस चावल कूटने वाले के पास गए वह सो रहा था गुरु ने उस जगाया ये लो मेरी छड़ी और मेरे वस्त्र ले लो आज से तुम मेरे उत्तराधिकारी हो लेकिन अभी इस मठ को छोड़ कर दूर चले जाओ क्योकि इस मठ में बहुत सारे विद्वान् है जो खुद को तुमसे श्रेष्ठ मानते है वो तुम्हे मार देंगे क्योकि वो सब इस बात को हज़्म नहीं कर पायंगे की एक साधारण सा चावल कूटने वाल उनसे विद्वान् निकलवा तुम्हे वह सारा ज्ञान हो गया है  जो मुझे है और तुम्हे यह चावल कूटते हुए हुआ है और मुझे पता है  तुम जहां भी जाओगे लोग तुम्हारे पास आने लगेंगे क्योकि जब कोई फूल  खिलता है तो उसकी महक हर तरफ फैलने लगती है उसने अपने गुरु के पैर छुए और रात को ही वहां से चला गया। 

अगर हम अपनी ज़िंदगी में देखंगे तो पाएंगे की बहुत से लोग सोचते है की ध्यान केवल एक स्थान पर बैठकर या अकेले में किया जा सकता है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है ध्यान तो चलते चलते भी किया जा सकता है अगर हम कुछ काम कर रहे तो भी ध्यान किया जा सकता है।  असल में ध्यान का मतलब यह की आप जो भी काम कर रहे है उसे इतनी सिद्धत से करे की आपको अपने शरीर  का ध्यान ही न रहे बिलकुल उस चावल कूटने वाले की तरह कि यह चावल कूटने में इतना मगन हो गया की उसे खुद का ख्याल ही नहीं रहा चावल कूटते हुए ही उसने आत्म साक्षत्कार प्राप्त कर लिया इसी तरह जैन का अर्थ है हमेशा वर्तमान में रहना और कुछ नहीं सोचन क्योकि मन जब तक ही है जब तक विचार है और विचार ही नहीं रहेंगे तो मन ही गायब हो जायेगा और जब मन ही नहीं रहेगा  तब ही आप  खुद  को अच्छे से जान पाओगे। 

असल में हमें खुद के वास्तविक सवरूप को जानने के लिए कोई अन्य साधना  करने की जरूरत नहीं है हम जो कुछ कर रहे है उस काम में इस कदर खो जाओ की आपका काम ही साधन बन जाये। 

मैं आशा करता हूँ आपको इससे बहुत कुछ सिखने को मिलगा। 

धन्यवाद 
आपका नवी    

تعليقات

المشاركات الشائعة من هذه المدونة

संघर्ष ही जीवन है

 संघर्ष ही जीवन है  संघर्ष (struggle) ये अक्षर दिखने में छोटा सा है , परन्तु यह जीवन का हिस्सा है या समझ लीजिये की संघर्ष का नाम ही जीवन है , मनुष्य  या फिर पशु पक्षी हर किसी  का जीवन एक संघर्ष है | अगर हम सरल शब्दों में संघर्ष को परिभाषित करे तो हम सब संघर्ष से घिरे हुए और जो सफलता या  सीख मिलती है वो संघर्ष की ही देन है |  संघर्ष जीवन को निखारता, संवारता  व तराशता  हैं और गढ़कर ऐसा बना देता  हैं, जिसकी प्रशंसा करते जबान थकती नहीं। संघर्ष हमें जीवन का अनुभव कराता  हैं, सतत सक्रिय बनाता  हैं और हमें जीना सिखाता  हैं। संघर्ष का दामन थामकर न केवल हम आगे बढ़ते हैं, बल्कि जीवन जीने के सही अंदाज़ को – आनंद को अनुभव कर पाते हैं। SELFISH HUMANS - HOW TO DEAL WITH SELFISH HUMANS ? संघर्ष सफलता की कुंजी संघर्ष जीवन का वह मूलमंत्र है जिसका अनुभव हर कोई व्यक्ति करता  है और संसार में बहुत ही कम व्यक्ति होंगे जो इसका  अनुभव पाने से वंचित रहे  हो , समाज में हर कोई नाम, शोहरत, पैसा , इज्जत कमाना या फिर पढ़ाई में अव्वल होना  चाहे जो भी लक्ष्य हो वह बिना संघर्ष  के अधूरा है! संघर्ष जीवन में उतार - चढ़ाव का

प्यार करने वालो की प्यारी सी कहानी - अगर प्यार सच्चा हो तो किस्मत उन्हें मिला ही देती है

प्यार करने वालो की प्यारी सी कहानी  किसी  ने सच ही कहा है अगर आप किसी को सच्चे दि ल से चाहो तो कायनात भी उसे आपसे मिलाने में  जुट जाती है। और अगर किस्मत भी साथ दे दे तो वो आपको जरूर मिल जाता है।   यह कहानी कुछ ऐसी ही है जिसमे दो प्यार करने  वाले एक दूसरे से जुदा होने के बाद भी मिल जाते है।  यह कहानी और कहानियो की तरह नहीं है।  इस कहानी में किस्मत दो प्यार करने वालो को फिर से मिलाती  है।  और उन दोनों को भी नहीं पता था  कि वो दोनों जिंदगी में दुबारे मिल पाएंगे।  चलो अब हम कहानी की शुरआत करते है इस कहानी को पूरा पढ़ना जब ही आपको समझ आएगा की प्यार  किसे कहते और उसका पास होने का और जुड़ा होने का एहसास कैसा होता है।  राज और काजल दिल्ली के एक ही कॉलेज में पढ़ते है, दोनों की कॉलेज में दोस्ती हो जाती है।  और धीरे धीरे दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते है।  राज और काजल एक दूसरे को अच्छे से समझने लगते है , और  उन दोनों का समय के साथ साथ दोस्ती और  प्यार बढ़ता जाता है। कॉलेज का आखिरी पड़ाव था और दोनों अब एक दूसरे से अलग हो रहे थे दोनों बेचैन थे की आगे वो मिल पाएंगे या नहीं उनकी जिंदगी उन्हें किस मोड़ पर

छोटी कहानी बड़ी सीख

  छोटी कहानी बड़ी सीख  🖊 लेखक नविन  एकबार एक चोर ने कसम खाई के जिंदगी में मैं कभी झूठ नहीं बोलूंगा।  परन्तु पेशे से वो तो चोर था।  और आप सब जानते है की झूठ तो चोर का सबसे महत्वपूर्ण हथियार होता है।   एकदिन वो अपनी तीन चार गधो पर समान के गट्ठर रखे हुए जा रहा था रास्ते में पुलिस चेक पोस्ट पड़ी उसके पास एक दरोगा आया और पूछा। की तुम कोन हो और क्या करते हो। सामने से जवाब मिला नसरुद्दीन हूँ  और चोरी करता हूँ।  दरोगा हैरान हो गया उसने सरे गट्ठर खुलवाए और चेक किया ज्यादा कुछ मिला नहीं सिवाय कुछ लकड़ियों के।  उसने नसरुद्दीन को जाने दिया।  कुछ दिनों बाद नसरुद्दीन फिर वही चेक पोस्ट पार कर रहा था।  फिर वही दरोगा मिला और पूछा अब भी चोरी करते हो क्या ? नसरुद्दीन ने कहा हां चोर हूँ तो चोरी ही करूंगा।  दरोगा ने फिर से सारा समान खुलवाया और चेक किया और फिर से कुछ नहीं मिला।  ये सिलसिला पुरे 20 सालो तक चलता रहा, वो दरोगा रिटायर हो गया लेकिन उसे यही एक बात खलती रही की चोर्ने समने से कुबूल किया के वो चोर है फिर भी वो कुछ बरामद नहीं क्र पाया चोरी साबित नहीं कर पाया।   Cricket Update एकदिन नसरुद्दीन दरोगा जी