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क्या भगवान हमें बिन मांगे सब दे देते है - Does God Help Us

क्या भगवान हमें बिन मांगे सब दे देते है 



सब कहते है की भगवान् से कुछ मत मांगो वह बिन मांगे ही दे देते है लेकिन भगवान् को ये बताना पड़ता है की हमें क्या चाहिए।  भगवान् सुनते तो सब की है और सबको फल भी देते है किसी को समय से पहले मिल जाता है और किसी अंत में।  लेकिन हम यह बात इसलिए कह रहे है की हमें भगवन  से मांगना क्यों जरुरी है। 

हम सब जानते है की हमारे मन में अनेक  इच्छाएं जागरूक रहती है और थोड़ी थोड़ी देर में हमारी इच्छाएं बदल जाती है।  और इन इच्छाओ को काबू कर पाना हमारे हाथ में थोड़ी न है।  क्योकि हमें बनाया ही ऐसा गया है की हम इच्छाएं करते रहते है और समय समय पर वह इच्छाएं बदल भी जाती है।  अब जब भगवान को हम सबको फल देना होगा तो उन्हें यह कैसे पता लगेगा की हमारे मन में कौन सी इच्छा चल रही है।  क्योकि भगवन जानते तो सब है लेकिन वो  भी तो चाहते है  की मेरा भक्त मुझसे कुछ मांगे कही मैंने बिना मांगे दे दिया और उसे  वह अच्छा न लगा तो। और हमारी इच्छाएं ही इतनी है की भगवान भी हमारी इच्छाओ को देख कर भ्रमित हो जाते है।

आपने टीवी पर देखा होगा और पुराणों में पढ़ा भी होगा जब ऋषि मुनि सालो साल तप किया करते थे तो भगवान उनसे खुश होकर दर्शन देते थे और बोलते थे की मांगो तुम्हारी क्या इच्छा है।  जब वह ऋषि मुनि अपनी इच्छा प्रकट करते थे और भगवान उन्हें वरदान देते थे क्योकि भगवान  भी देखना चाहते थे कि मेरे भक्त को ऐसा कोंन सा वरदान चाहिए जो इतने समय से मेरी आराधन कर रहा है  ।  लेकिन वह ऋषि हो या राक्षश जो वरदान मांगते थे भगवन उसे वह वरदान दे ही देते थे चाहे वह वरदान विनाश की तरफ संसार को ले जाए क्योकि उसका हल भी भगवान की पास ही होता था ।

आप इस बात से समझ ही गए होंगे की भगवन से वरदान मतलब कुछ क्यों मांगना  चाहिए। क्योकि भगवान को पता तो लगे की आखिर मेरे  भक्त  क्या चाहिए।  भगवान अपने सभी भक्तो को बराबर एक ही नज़र से देखते है लेकिन किसी की इच्छा जल्दी पूरी हो जाती किसी की इच्छा पूरी होने में समय लगता है। आप भगवान से मांगो  दिल खोलकर मांगो भगवन एक दिन आपकी सुनेंगे जरूर।

 हम यह नहीं कहते की भगवान से हमेशा मांगने ही जाओ भगवान से वही मांगो जो आपके लिए जरुरी है नहीं तो भगवन की पूजा अर्चना बिना किसी स्वार्थ के  करो।  जब ही तो भगवान को लगेगा की कोई तो है जो मेरी पूजा और मुझे आवाज़ भी निस्वार्थ देता है। 

भगवान की माया कोई समझ न पाया , कही धूप है तो कही छाया , 
हक़ से मांगो भगवान से क्योकि ज़माने ने भले ही ठुकराया पर इन्होने है सबको अपनाया। 


धन्यवाद 
आपका नवी 


मैं आशा करता हूँ की आप सभी को मेरे विचार अच्छे लगते है।  अगर आपको मेरे विचारो में कोई भी कमी लगे तो मुझे आप बताये मैं उसे पूरी करने की कोशिश करूँगा।  और आपके पास भी  अच्छे  विचार हो तो हमसे साझा करे हम उसे अपने ब्लॉग में आपके लिए लिखेंगे। 
आपका अपना ब्लॉग 


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