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राधा कृष्ण जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है

राधा कृष्ण जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है 



 राधा कृष्णा जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है 

यहां तो सिर्फ हवस में ही प्रेम समाया है

इस कलयुग की माया कोई समझ न पाया है। 


यहां राम और लक्ष्मण भाइयो जैसा प्यार कोई समझ नहीं पाया है 

जायदाद के लिए भाई ने ही भाई का खून बहाया है 


श्रवण के भाव माता पिता के लिए कोई नहीं समझ पाया है 

आज कल तो माता पिता को बेटा ही आश्रम में छोड़ कर आया है 


हरीशचंद्र जैसा सत्यवादी कोई नहीं कहलाया है 

आज कल तो सबने झूठ को ही अपनाया है 


एक समय पर कुनबा ही परिवार कहलाया है 

आज कल तो माता  पिता से अलग होकर ही परिवार भाया  है 


सीता माता  जैसी स्त्री ने पति धर्म निभाया है 

आज कल की स्त्रियों ने तलाक लेकर पति से छुटकारा पाया है 


भगत सिंह जी ने  शहीद होकर  आज़ादी का मतलब  समझाया है 

पर आज कल की राजनीती ने हमे फिर से गुलाम  बनाया है


रानी लक्ष्मीबाई ने महिलाओ को लड़ना सिखाया है 

आज उसी सीख से महिलाओ ने देश में अपना सम्मान बढ़ाया है 


एक समय  राजाओ ने आपस में लड़कर देश को गुलाम बनवाया है 

और आज राजनीती ने जनता को अपना गुलाम बनाया है 

इस कलयुग की माया कोई समझ न पाया है। 


उम्मीद करता हूँ आप सभी  को मेरी कविताये और मेरी सोच पसंद आती है  अगर आपको कोई भी कमी मिले तो कृप्या आप मुझे बताये हम मिलकर उस कमी को दूर करेंगे।

अगर आपको मेरी यह कविता पसंद आयी है तो इसे कमेंट और शेयर जरूर करे। 

आप मुझे मेरी मेल पर भी सम्पर्क कर सकते है npcoolguy1@gmail.com

धनयवाद 
आपका नवी 

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