वो भी दिन क्या दिन थे
जब तेरे साथ बिताए कुछ हसीन दिन थे
हर दिन की शुरुआत तुझसे होती थी
वो दिन भी कितने लाजवाब थे
एक दिन ऐसा क्या हुआ।
जिस दिन तू मुझे छोड़ गया
उस दिन से आज का दिन है
हर दिन तेरा इंतजार किया
हर दिन बस यही सोचा
कि उस दिन आखिर क्या हुआ
अच्छे खासे हमारे दिन थे
उस दिन तुमने दिल को तड़पता छोड़ दिया
आज भी ये दिल तुझको याद करता है
तेरी यादों में ये दिल आज भी तड़पता है
ये सांसे रुक रुक कर आती है
ये धड़कन धीरे धीरे धड़कती है
ऐसा लगता है कि
तुम इस रूह को जिस्म से जुदा कर रही हो
हमसे ही हमारा वजूद छीन रही हो
कुछ समझ आता ही नहीं कि
ये सांसे किसके लिए रुकी है
मुझे पता है कि अब वो लौट कर आयेगा नही
उसके बिना कैसे मैं ये सांसे पूरी करू
कोई तो बता तो मैं मरू तो
उसके बिना कैसे मरू ।
धन्यवाद
आपका नवी
मैं आशा करता हूँ की आपको यह कविता पसंद आयी हो। अगर आपके पास भी मेरे लिए सुझाव हो तो हमें जरूर बातये हम सुधर करने की कोशिश करेंगे।
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