देखो भाई कैसा कलयुग आया है
राधा कृष्णा जैसा प्रेम कोई समझ न पाया है
यहां तो सिर्फ हवस में ही प्रेम समाया है
देखो भाई कैसा कलयुग आया है।
यहां राम और लक्ष्मण का भाईचारा कोई समझ नहीं पाया है
जायदाद के लिए भाई ने ही भाई का खून बहाया है
देखो भाई कैसा कलयुग आया है।
श्रवण के भाव माता पिता के लिए कोई नहीं समझ पाया है
आज कल तो माता पिता को बेटा ही आश्रम में छोड़ कर आया है
देखो भाई कैसा कलयुग आया है।
हरीशचंद्र जैसा सत्यवादी कोई नहीं कहलाया है
आज कल तो झूठ ने ही सबको अपनाया है
देखो भाई कैसा कलयुग आया है।
एक समय पर कुनबा ही परिवार कहलाया है
आज कल तो माता पिता से अलग होकर ही परिवार भाया है
देखो भाई कैसा कलयुग आया है।
सीता माता जैसी स्त्री ने पति धर्म निभाया है
आज कल की स्त्रियों ने तलाक लेकर पति से छुटकारा पाया है
देखो भाई कैसा कलयुग आया है।
भगत सिंह जी ने शहीद होकर आज़ादी का मतलब समझाया है
पर आज कल की राजनीती ने हमे फिर से गुलाम बनाया है
देखो भाई कैसा कलयुग आया है।
रानी लक्ष्मीबाई ने महिलाओ को लड़ना सिखाया है
आज उसी सीख से महिलाओ ने देश में अपना सम्मान बढ़ाया है
देखो भाई कैसा कलयुग आया है।
पुराने समय के राजाओ ने आपस में लड़कर देश को गुलाम बनवाया है
और आज राजनीती ने लोगो गुलाम बनाया है
देखो भाई कैसा कलयुग आया है।
उम्मीद करता हूँ आप सभी को मेरी कविताये और मेरी सोच पसंद आती है अगर आपको कोई भी कमी मिले तो कृप्या आप मुझे बताये हम मिलकर उस कमी को दूर करेंगे।
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