वो बचपन के दिन
वो बचपन के दिन वो बचपन की बाते
आज भी याद आती है।
वो मस्ती में रहना, माँ की डांट को हल्के में सहना,
मिट्टी के घर बनाकर ख्वाबो की दुनिया मे रहना।
स्कूल का काम न हुआ तो ,
स्कूल न जाने के बहाने बनाना,
फिर भी मम्मी ने जबरदस्ती स्कूल छोड़ के आना।
वो पेड़ो की छांव में बैठना
सावन में झूलो का आंनद था लेना।
गर्मियों की छुट्टियों में था नाना के जाना और
ओर अगली छुट्टियां में रामलीला का था आनन्द लेना।
जब भी करते थे हम शरारत
माँ का पापा के गुस्से से हमे बचाना
घर मे कोई भी मेहमान का था आना,
हमे पैसो का आता था लालच आना।
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बचपन में सबके साथ था खेलना ,
फिर भी मन मे जात पात ओर धर्म का ख्याल भी न आना।
इतना प्यार था हमारा वो बचपन का जमाना।
वो बचपन के दिन वो बचपन की बातें
आज भी बहुत याद आती है।
जीवनसाथी हो ऐसा राधा कृष्णा के प्यार जैसा
#नवी
माँ मेरा अभिमान है - माँ मेरा स्वाभिमान है
मेरा गांव है शहर से निराला - गांव की सभ्यता
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धन्यवाद
आपका नवी
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