बेटी को बचाओ देश को बढ़ाओ - भूर्णहत्या पाप है (feticide is a sin)

बेटी को बचाओ देश को बढ़ाओ - भूर्णहत्या पाप है 




भाग -1 

यह छोटी से कहानी हमारे सामाजिक तत्वों पर आधारित है।  किस प्रकार हमारा समाज किसी कन्या को जन्म लेने से पहले उनकी हत्या करवा देता है दूसरे शब्दों में कहे तो भूर्णहत्या। हमारे समाज और देश ने विकास  तो कर लिया है लेकिन अभी तक पुराने विचारो से बाहर नहीं निकल पाए।  हम कह तो देते है की लड़की और लड़का एक समान है लेकिन फिर भी उस लड़की को इस दुनिया में आने ही नहीं दिया जाता।  आज भी कई स्थान ऐसे है जहां कन्या को जन्म ही नहीं लेने दिया जाता है।  

यह कहानी है एक गांव में रहने वाले रूढ़िवादी परिवार की और उसमे रह रहे सदस्यों के विचारो की।  उस परिवार की उस गाँव में बहुत इज्जत थी और अच्छे पैसे वाले भी थे।  उनके एक बेटा (रमेश) और बेटी (सीमा) थी , बेटा रमेश बड़ा था और वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता के साथ उनकी फैक्टरी में उनका साथ देने लगा।  रमेश की उम्र शादी करने की हो गयी थी।  और अब उनके परिवार वाले रमेश की शादी के लिए लड़की देखने लगे।  धीरे धीरे एक साल बीत गया और रमेश के दूर शहर की लड़की पसंद आ गयी।  परिवार वालो ने रमेश की शादी कर दी धूम धाम से।  शादी के बाद रमेश और उसकी पत्नी (रीना ) ख़ुशी ख़ुशी जीवन व्यतीत करने लगे।  रमेश के परिवार वाले भी रीना के साथ अच्छे से व्यवहार करते थे।  रमेश भी रीना से बहुत प्यार करता था , रीना भी उस परिवार में बहुत खुश थी , रमेश रीना की लिए अच्छे अच्छे तोहफे लाता था।  6 महीने बीत गए , और उनके घर में खुसखबरी का माहौल  आ गया मतलब रीना माँ बनने वाली थी।  इस खबर को सुनकर पूरा परिवार बहुत ख़ुशी था। परिवार वालो ने इस खबर को सुनकर घर में ही पार्टी की।  

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परिवार में ख़ुशी भी थी लेकिन अब उस घर में उनके बड़े बुजुर्ग आपस में विचार करने लगे कि हमे अच्छा डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए कोई कमी नहीं होनी चाहिए।  फिर भी रमेश की माँ थोड़ी परेशान थी , रमेश के पिता ने पूछा क्या हुआ भाग्यवान , तो रमेश की माँ बोली कि हमे एक बार अल्ट्रसाउंड करवा लेना  चाहिए की पहले ही पता लग जाये बेटा है या बेटी।  यह सुनकर रमेश के पिताजी बोले की रहने दो पहला ही तो बच्चा है।  तो रमेश की माताजी बोली नहीं नहीं पहला है इसलिए तो बोल रही हूँ की समाज क्या बोलेगा अगर बेटी हुई तो अगर बेटा हुआ तो हमारे रिश्तेदारों में हमारा अलग ही दबदबा होगा और उसने पड़ोस के कई महिलाओ के नाम गिनवा दिए जिन्होंने पहली बार में अल्ट्रासॉउन्ड करवाया था और उनके फिर बेटा हुआ है , यह बात सुनकर रमेश के पिता मान गए और फिर उन्होंने रमेश को बोला। रमेश पहले तो मना करने लगा फिर माँ के समझने पर मान गया।  इस तरह बात रमेश की पत्नी रीना तक पहुंच गयी और रीना बोली ये सब गलत है पहला बच्चा ही तो है।  रमेश के घरवाले रीना को समझाने लगे फिर वो बोली एक बार मैं अपनी माँ से बात करके बताउंगी।  यह सुनकर सब मान गए। रमेश के माँ ने पहले ही रीना की माँ से फ़ोन पर बात कर ली  और रीना की माँ भी उनकी बात से मान गयी और उन्होंने रीना को समझा दिया। 

रेमश की माँ ने ऐसा डॉक्टर ढूंढ निकला और अब अल्ट्रासॉउन्ड का दिन आ गया रमेश उसकी माँ और रीना डॉक्टर के क्लिनिक पहुँच गए।  वहां जाने के बाद अल्ट्रासॉउन्ड होने पर पता लगा की बेटी है।  यह सुनकर सबको दुःख हुआ लेकिन सबसे ज्यादा दुःख रीना को हुआ क्योकि उसे पता था की अब उसका अबॉरशन करवा देंगे। और वह रोने लगी।  वहां से रमेश और उसकी माँ रीना को चुप करवा कर घर ले गए।  अब घर में जो ख़ुशी का माहौल था वो थोड़ा गम में बदल गया। 

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रमेश की माँ ने रीना की माँ को घर बुलाया और सबके ने बैठ कर बात चीत की, आखिर में सबने एबॉर्शन का फैसला ले लिया।  रीना की माँ ने रीना को समझाया की इसमें कुछ गलत नहीं आज कल तो सब करवाते है।  अगर पहली बेटी हुई तो सब ताने देंगे और गन्दी नज़र से देखेंगे।  लेकिन रीना के लाख समझाने के बाद कोई नहीं माना, और रीना को सबने मिलकर मना लिया। 
रीना को अब अबॉर्शन के लिए और अस्पताल में पंहुच गए।  रीना शांत थी , वह किसी से ज्यादा बात नहीं कर रही थी रीना मान तो गयी थी सबकी बात लेकिन उसका मन अशांत था , वह घबराई हुई थी और AC वाले कमरे में भी उसे पसीना आ रहा था।  

रीना का एबॉर्शन करवा दिया, और वह अभी भी अस्पताल में थी , रीना की माँ रात को अस्पताल में रुकने के लिए कह रही थी , तो रीना का पति रेमश और उसकी सासुमा वहां से घर के लिए निकल गए।  रेमश अभी रास्ते में ही पहुंचा था की अस्पताल में रीना की माँ का फ़ोन आता ही की रीना नहीं रही।  

रमेश को कुछ समझ नहीं आया और उसने गाड़ी अस्पताल की तरफ मोड़ दी।  जब रेमश अस्पताल पहुंचा तो उसने देखा की उसकी पत्नी रीना का देहांत हो गया।  डॉक्टर से पूछने पर पता चला की थोड़ा इन्फेक्शन हो गया और बी पी  बहुत ज्यादा बढ़ गया था,  इसलिए हम उसे बचा नहीं पाए।  यह सुनकर रमेश और रीना की माँ बहुत दुखी हुई, लेकिन अब तो कुछ कर नहीं सकते थे न ही बच्चा रहा और न ही रीना।  

रीना के अंतिम संस्कार करने के बाद और उसकी तेहरवी करने के बाद घर में फिर से पहले वाला माहौल हो गया था।  रमेश अभी जवान था तो उसके घर वाले उसकी शादी की बाद करने लगे और रीना की मृत्यु को एक साल भी नहीं हुआ था अभी और रमेश ने दूसरी शादी भी कर ली वो भी ख़ुशी ख़ुशी।  

आज भी लोग इतने अंध विश्वास करते है, कि एक बेटे की चाह में अपनी बहु की नहीं सोची और छोटी सी नन्ही जान की भूर्ण हत्या करवा दी। भारत में ऐसे अल्ट्रासॉउन्ड करना और एबॉर्शन करवाना अपराध है फिर इन लोगो को ऐसे लोग कहा से मिल जाते है  और उन्हें ये पाप करवाते हुए डर भी नहीं लगता।  

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भारत को एक महान देश कहा जाता है , भारत ने बहुत विकास भी कर लिया , लेकिन अभी तक अंधविश्वाशी है यहां के लोग जो अपनी ख़ुशी के लिए एक नन्ही से जान की जान ले लेते है उसका क्या अपराध है जिसने अभी तक दुनिया में कदम भी नहीं रखा है। 

हम सभी को मिलकर इस अन्याय को रोकना होगा अपने बुजुर्गो  को समझना होगा की लड़का  और लड़की में भेदभाव न करे।  इस अंधविश्वास को उनके मन से दूर करना होगा जिससे हमारे बुजुर्गो के मन में ही न आये ये पाप।  आज मेरे आप सबसे अनुरोध है कि अपने बुजुर्गो को समझाये और खुद भी  समझदार बने हम सब एक समान है।  

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भाग - 2 जल्दी आएगा। 



धन्यवाद 
आपका नवी   

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