परिवार का महत्व

 

परिवार का परिचय 

परिवार क्या होता है, परिवार कैसे बनता है, ये हम सब जानते है फिर भी अगर सरल शब्दों में समझे तो एक छत के नीचे रहने वाला व्यक्तियों का समूह जो आपस में अनुवांशिक गुणों को संचरित करते हैं परिवार के संज्ञा के अंतर्गत आते हैं ! इसके अलावा विवाह पश्चात या किसी बच्चे को गोद लेने पर वे परिवार का सदस्य हो जाते हैं। समाज में पहचान परिवार के माध्यम से मिलती है इसलिए हर मायने में व्यक्ति के लिए उसका परिवार सर्वाधिक महत्वपूर्ण है !

हर समाज के अपने अलग  अलग नियम और परम्पराये होती है लेकिन हर समाज की मौलिक , प्राथमिक और जरूरी इकाई परिवार ही  होता है ! बिना परिवार के समाज की कल्पना करना  एक सपना जैसे होता है !

 
 आप इस में अपने  परिवार की यादो  को कैद करे , आज ही


परिवार के प्रकार 

हम  सभी  जानते है की परिवार दो प्रकार के होते है पहला मूल परिवार और दूसरा सयुक्त परिवार !

मूल परिवार -  मूल परिवार  देखा जाये तो पश्चिमी सभ्यता की देन है, जिसमे पति पत्नी अपने माता पिता से अलग रहते है और उसमे उनके होने वाले बच्चे सम्मिलित हो जाते है , और आज विश्वभर में मूल परिवार का चलन चल रहा है !

सयुंक्त परिवार - सयुंक्त परिवार की अवधारणा भारत की संस्कृति की छवि को दर्शाता है , इसमें पीढ़ी दर पीढ़ी निवास करती है, जैसे दादा -दादी , चाचा-चाची , उनके बच्चे और बुआ आदि !

व्यक्ति के जीवन में परिवार की भूमिका 

व्यक्ति के जीवन में अहम भूमिका उसके परिवार की होती है , अगर किसी व्यक्ति का परिवार ही नहीं तो वह व्यक्ति अधूरा और अकेला रह जाता है ! क्योकि जहां दोस्त, रिश्तेदार, और समाज साथ नहीं देता वहां परिवार साथ  देता है ! आप चाहे मूल  परिवार से हो सयुक्त परिवार से आपके जीवन में दोनों की ही महत्वता बहुत अधिक होती है ! पहले सब सयुंक्त परिवार में रहते थे और आज भी हमे  सयुंक्त परिवार देखने को मिल जायेगे, जब हम सयुंक्त परिवार में रहते है तो हम और ज्यादा खुद को सुखद महसूस करते है क्योकि कोई भी बाहर के लोग हमारे परिवार को इतनी जल्दी हानि नहीं पहुंचा सकते है और सब एक दूसरे की देखभाल करते है सब जानते है  परिवार में सबसे ज्यादा स्नेह बच्चो को दादा दादी से ही मिलता है ! भाई भाई एक दूसरे की मदद करते है एक दूसरे के बच्चो को अपने बच्चो की तरह स्नेह देते है अगर घर में कोई भाई किसी काम से कुछ दिन के लिए बाहर चला जाये तो उसे अपने बच्चो की चिंता नहीं होती या मां बाप की क्योकि उसे पता है की उसका भाई या फिर चाचा उनकी देख रेख कर लगे !  बच्चे के किशोरावस्था में कदम रखने पर जहां वह सबसे अधिक संवेदनशील स्थिति से गुज़र रहा होता है, परिवार, बच्चे को समझने का पूरा प्रयास करता है! उसे भावनात्मक सहयोग देता है! बच्चे के अंदर हो रहे उथल-पूथल का समाधान परिवार अपनी सूज बूझ से करता है!

मूल परिवार में भी एक बच्चे के रूप में हमें जन्म देने के बाद परिवार में उपस्थित माता-पिता हमारा पालन पोषण करते हैं! ब्रश करने तथा जूते का फीता बाँधने से लेकर पढ़ा-लिखा कर समाज का एक शिक्षित वयस्क बनाते हैं! भाई-बहन के रूप में घर में ही हमें दोस्त मिल जाते हैं, जिनसे अकारण हमारी अनेक लड़ाई होती है! भावनात्मक सहारा और सुरक्षा भाई-बहन से बेहतर और कोई नहीं दे सकता है! 

कटु है पर सत्य है, व्यक्ति पर परिवार का साया न होने पर व्यक्ति अनाथ कहलाता है! इसलिए समृद्ध या गरीब परिवार का होना आवश्यक नहीं पर व्यक्ति के जीवन में परिवार का होना अतिआवश्यक है!

परिवार और हमारे मध्य दूरी के कारण  

परिवार की अपेक्षाएं - हमारे किशोरावस्था में पहुंचने पर जहां हमें लगने लगता है हम बड़े हो गए हैं वहीं परिवार की कुछ अपेक्षाएं भी हम से जुड़ जाती हैं! ज़रूरी नहीं हम उन अपेक्षाओं पर खरे उतर पाए और आजकल के बच्चे माता पिता की भावनाओ को ठेस पहुंचाते  है अंततः रिस्तों में खटास आ जाती है!

हमारा बदलता स्वरूप - किशोरावस्था में पहुंचने पर बाहरी दुनिया के प्रभाव में आकर हम स्वयं में अनेक परिवर्तन करना चाहते हैं, जैसे की अनेक दोस्त बनाना, प्रचलन में चल रहे कपड़े पहनना, परिस्थिति को अपने तरीके से हल करना आदि! इस सब तथ्यों पर हमारा परिवार हमारे साथ सख्ती से पेश आता है ऐसे में हमारी न समझी के कारण कई बार परिवार से अनबन हो जाती हैं! यहां एक दूसरे को समझने की ज़रूरत है!

विचारधारा में असमानता - देखा जाये हमारा समय और हमारे माता पिता और दादा दादी सबका समय अलग अलग और हमारे अलग समय के संबंधित होने की वजह से हमारे विचार और हमारे परिवार जनों के विचारधारा में बहुत अधिक असमानता होती है! जिसके वजह से परिवार में क्लेश हो सकता है और होता भी है !

निष्कर्ष 

समाज में हमारे माता पिता , दादा दादी के नाम से हमे पहचान मिलना और एक समय आने पर हमारे नाम से हमारे परिवार को जानने तक , परिवार हमे हर प्रकार का सहयोग प्रदान करता है हम सब जानते है की परिवार के अभाव में हमारा कोई अस्तित्व नहीं है अतः  हमे हमारे परिवार को समझने की कोशिश करनी चाहिए! पीढ़ी अंतराल  के कारणवश परिवार और हमारे मध्य अनेक चीजों पर सहमति एक-दूसरे से भिन्न होती चली जाती है! एक दूसरे को समय देने से हम एक दूसरे को समझ पाएगे! परिवार तथा बच्चों को एक दूसरे के दृष्टीकोण को समझने का प्रयास करना चाहिए ! 

नमस्कार प्यारे दोस्तों मै आप सब को IDEAL THOUGHT की और से एक विनती करता हूँ की अगर आप के पास हिंदी और इंग्लिश में कोई भी प्रेरक कहानी , Motivational Stories, Success stories, Inspirational Quotes है तो आप मुझे इस मेरी Mail id : npcoolguy1@gmail.com पर जरूर भेजे, मै यह आपके नाम और पटे के साथ आपकी कहानी या लेख को पोस्ट करुगा, मै आशा करता हूँ आप जरूर सहयोग करेंगे! 

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धन्यवाद 
आपका नवी 
 
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