'माँ' - भगवान का रूप

माँ शब्द अपने अपने आप में  परिपूर्ण 

'माँ' ये शब्द अपने आप में  ही पूर्ण है माँ  के  बारे में  आप कितना भी लिख लो  वो अपने आप  में अधूरा  और अपूर्ण लगेगा क्युकी उसकी पूर्णता दर्शाने के लिए शब्द ही कम पड़ जाते है! इस संसार में माँ का आँचल जिसे मिल जाये जिसे उसके आँचल की पनाह मिल जाये उसकी जिंदगी अपने आप में  ही सफल हो जाती है! हम माँ का गुणगान किन शब्दों  में करे वह  जीती भी हमारे लिए  और मरती भी हमारे लिए है! लोग कहते है कि जब  एक बच्चा औरत की कोख से जन्म लेता  तब वो औरत माँ बनती है! परन्तु लोगो के यह नहीं पता की जब उस औरत को पता लगता है  की वो गर्भवती है उसकी  कोख में एक बच्चा पल रहा है वह  तभी ही माँ बन जाती है! उस औरत का अल्हड़पन उसकी मौज मस्ती  रहन -सहन खान -पान और उसका सवभाव बदल जाता है! पहले वह अपने लिए खाती थी परन्तु अब वह अपने गर्भ में पल रहे बच्चे  के स्वास्थ्य के लिए  खाती है! कुय्की अब वह औरत माँ बनने जा रही है और यह पल उसकी ज़िदगी का सबसे हसीन पल है!  जिसके वह बस सपने संजोती थी आज उसका वह सपना पूर्ण होने जा  रहा है वह जो मस्त अल्हड़ अपने में  मग्ज़ रहने वाली औरत माँ  बन गयी है जब वह औरत पहली बार गर्भ से निकले हुए शिशु को देखती है तो  वह सारा दर्द भूल  जाती है उसकी आँखों में खुशी के आंसू एक मीठी सी मुस्कान उसके होठो पर उसके चहरे की चमक सब उसे अलौकिक सौंदर्य  से भर देती है जिसे हम माँ कहते है |
माँ की कहानी तो शुरू हो चुकी है शिशु के जन्म के बाद लालन - पालन उसका ध्यान रखना  उसे सवयं आ जाता है! माँ ही तो है जो हर पल कुछ न कुछ नया सीखती है पर हम नादान बच्चे बड़े होने पर  समझते है! माँ ऐसा क्यों नहीं करती माँ वैसा क्यों नहीं करती पर हम भूल जाते है की वो माँ है, वो भी एक इंसान है, उससे भी गलतिया होती है  माँ भी हर पल सीखती की उससे  कोई कमी न रह जाये उसके बच्चे के लालन - पालन में ! जब एक माँ अपने बच्चे को डाँट मारती है तो उसे भी दुःख होता पर  वो तो अपने बच्चे की भलाई के लिए   डांटती है, लकिन वो अपने के कोने में खुद को कोसती भी है ! पर  वह अपने बच्चे को जताती नहीं माँ को अपने बच्चे के लिए जो भी सही लगता वो वह सब करती है , कभी  डाँट कर तो कभी उसे प्यार से समझाकर उस माँ का बच्चा ही अब उसके लिए दुनिया  बन जाता है  और जैसे जैसे उसका बच्चा बड़ा होने लगता है उस माँ की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है अब वह माँ के साथ साथ अपने बच्चे की दोस्त भी बनने  लगती है माँ वो है जो  बिना किसी स्वार्थ के अपने बच्चे पर अपना जीवन न्योछावर कर देती है ! माँ के प्यार, त्याग, तपस्या के बदले  हम कुछ भी कर ले पर  कर्ज हम कभी नहीं उतार सकते ! माँ ही तो जो हमारे गमो को अपने आँचल में छुपा लेती  है!
 मेरी खुशियों में  जो खुश होती वही माँ तो मेरा अभिमान है
 मरी उन्नति में जो मेरा साथ देती है वही माँ तो मेरा स्वाभी मान है 
वो है तो  मेरा वजूद है अगर माँ तू ही नहीं तो मेरा कोई वज़ूद नहीं 
 तेरे आँचल की छाँव में जन्नत है और तेरे आँचल के बिना मैं कुछ भी नहीं हू 
तेरे बिना मेरी माँ बस एक खोखला इंसान हु 
जो बस ज़िंदगी  भर अपना वज़ूद  ढूंढ़ने में लगा है , 
किसी ने ये कहा की क्या आपने भगवान् को  देखा है 
तो कभी मै उसे कहुगा की माँ के आँचल की छाँव में जाकर तो देख तुझे भगवान खुद ही दिख जायगे !
हर बच्चे के लिए उसकी माँ ही भगवान होती है कुय्की उस भगवान ने ही तो खुद को माँ के रूप में इस संसार में  उतारा है ! भूखी रहकर माँ हमे खिलाती अपनी आँचल की छाव  में पंखा करके हमे सुलाती है हम थोड़ी देर से घर क्या ए वो खबर जाती है फ़ोन करके पूछा करती है की तू कहा है और तूने खाना खाया की नहीं ! माँ ही एक ऐसी इंसान है जो अपने बच्चे का चेहरा देख कर बता देती की आज तूने खाना खाया या नहीं कि आज तू उदास है ! और जब कोई बच्चा उदास हारा थका घर पहुँचता है तो बस माँ की झलक ही पाते उसके सारे दिक्कत दूर हो जाती है और उस बच्चे के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है! जब कोई बेटी शादी के बाद सुसराल जाती है या फिर कोई बेटा  पढ़ने के लिए दूर जाता है तो सबसे ज्यादा दुःख माँ को ही होता है पर वह उस दुःख को जताती नहीं कुय्की उसे पता है अगर उसके आंसू आये या वह दुखी हुई तो उसके बच्चे दूर नहीं जायगे बच्चो के सरे दुःख वो सेहती है और बच्चे क्या कहते की ये तो हर एक माँ अपने बच्चे के लिए करती है ! लेकिन इसका एहसास उस बच्चे को तब होता है हैब वह खुद एक माँ और पिता बनता है ! एक माँ ही तो जिसका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहता है और माँ ही तो जो अपने बच्चे को नज़र से बचाने के लिए उसे काला टीका लगाती जय छाए बच्चा कितना बड़ा हो जाये लकिन उसके लिए तो वो हमेशा ही एक बच्चा रहता है !



माँ की ज़िंदगी हम से शुरू होती है और हम पर ही खत्म होती है तभी तो माँ को भगवान् को रूप माना जाता है वो हमारे लिए उस भगवान से भी टकरा जाती है ! शब्द ख़त्म हो जाते है माँ के बारे में लिखते लिखते आखिर उसके प्यार की दास्ताँ और माँ  की ममता के लिए शब्द ही नहीं बने !

आपका नवी 

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